नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) उत्तरी दिल्ली में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर साइबर ठगी का शिकार बनाने के आरोप में दो युवकों को गिरफ्तार किया गया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
आरोपियों ने खुद को साइबर अपराध अधिकारी बताकर पीड़ित से 14 लाख रुपये वसूले थे।
अधिकारी ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई कर रहे 20 वर्षीय बंशी लाल और प्रेम कुमार को कैलाश कुमार मीना (57) द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया गया।
शिकायत में कहा गया था कि कैलाश को मुंबई से साइबर अपराध अधिकारी होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का वीडियो कॉल आया था।
उत्तरी दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘फोन करने वाले ने कैलाश पर साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और चेतावनी दी कि पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए आ रही है। दबाव में आकर, शिकायतकर्ता ने फोन करने वाले द्वारा बताए गए बैंक खाते में 14 लाख रुपये भेज दिए।’
इस संबंध में 22 अप्रैल को नार्थ साइबर थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
पुलिस ने कॉल डेटा, बैंक लेन देन और डिजिटल लॉग्स की विस्तृत जांच के बाद आरोपियों का पता लगाया। लगातार स्थान बदलने के बावजूद मोबाइल सर्विलांस के जरिये उनकी मौजूदगी राजस्थान के बाड़मेर जिले में पाई गई।
वहां 15 जून को छापेमारी कर बंशी लाल को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसके साथी प्रेम कुमार का नाम सामने आया, जिसे उसी गांव से पकड़ा गया।
पुलिस उपायुक्त ने बताया, ‘पूछताछ के दौरान बंशी लाल ने खुलासा किया कि उसने एक बैंक खाता खोला था और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर और इंटरनेट बैंकिंग विवरण 8,000 रुपये में प्रेम कुमार को सौंप दिया था। बदले में प्रेम कुमार ने यह खाता मुख्य साजिशकर्ता सतपाल बिश्नोई को 15,000 रुपये में मुहैया करा दिया।’
बिश्नोई ने इसी खाते में ठगी की रकम भेजी और सीसीटीवी से बचने के लिए बंशी लाल को चेक से पैसे निकालने का निर्देश दिया।
प्रेम कुमार ने यह भी खुलासा किया कि उसने अपना और अपने एक अन्य साथी चिन्नू लाल का बैंक खाता भी इसी तरह बिश्नोई को उपलब्ध कराया था।
पुलिस ने आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल किए गए दो मोबाइल फोन और सिम कार्ड जब्त किए हैं। प्रारंभिक जांच में प्रेम कुमार की भूमिका बैंक खातों की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क के अहम सदस्य के रूप में सामने आई है।
भाषा
राखी नरेश
नरेश