कोलकाता, एक जुलाई (भाषा) ‘दक्षिण कलकत्ता लॉ कॉलेज’ में 24 वर्षीय एक छात्रा के साथ पिछले महीने हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के खिलाफ मंगलवार को कॉलेज के छात्रों ने परिसर में सुरक्षा व्यवस्था मजूबत किये जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
छात्रों ने कॉलेज के समक्ष तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और इस दौरान नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज की संचालन समिति में व्यापक सुधारों की जरूरत को भी रेखांकित किया।
छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में दो छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया, जबकि मुख्य आरोपी के रूप में चिन्हित एक संविदा कर्मचारी की सेवा को समाप्त कर दिया है।
प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा, ”इस घटना में शामिल लोगों के लिए हमारे कॉलेज में कोई जगह नहीं हो सकती।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि ये लोग लॉ कॉलेज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कॉलेज परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए एक छात्रा ने कहा, “हमारे माता-पिता हमें इस भरोसे के साथ कॉलेज भेजते हैं कि प्रशासन हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। लेकिन इसके बदले हमें क्या मिला?”
प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज में एक निष्पक्ष संचालन निकाय के गठन और उसमें छात्र प्रतिनिधियों को शामिल करने की भी मांग की।
मुख्य आरोपी मनोजित मिश्रा, जो कॉलेज में एक संविदा कर्मचारी था, संस्थान से निष्कासित किए गए लोगों में शामिल है।
मिश्रा के साथ आरोपी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें एक जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
वहीं, अलीपुर अदालत के करीब 100 वकीलों ने भी अदालत परिसर में मार्च निकालकर आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
अखिल भारतीय वकील संघ (एआईएलयू) की अलीपुर इकाई से जुड़े वकीलों ने अदालत परिसर में नारेबाजी की और घटना की निंदा की।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधि प्रकोष्ठ के सदस्यों ने अलीपुर अदालत बार एसोसिएशन को पत्र सौंपा, जिसमें सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की पैरवी न करने की अपील की गई।
भाजपा अधिवक्ता मंच की ओर से सुब्रतो सेनगुप्ता ने कहा, “यह जघन्य अपराध राज्य की छवि पर धब्बा है। महिला सुरक्षा को लेकर कड़ा संदेश देना जरूरी है। शर्म की बात है कि मुख्य आरोपी एक वकील है।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मिश्रा को वकील का लाइसेंस कैसे मिला, जबकि उसके खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
भाषा राखी पवनेश
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