(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, एक जुलाई (भाषा) त्रिभाषा नीति से संबंधित विवादित सरकारी प्रस्ताव वापस लिए जाने के उपलक्ष्य में शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की पांच जुलाई को होने वाली संयुक्त विजय रैली में 20 साल में पहली बार उद्धव और राज ठाकरे मंच साझा करते दिखाई देंगे।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) और राज ठाकरे की अगुवाई वाली मनसे ने मंगलवार को वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित होने वाले ‘मराठी विजय दिवस’ समारोह के लिए संयुक्त सार्वजनिक निमंत्रण जारी किया।
‘मराठीचा आवाज’ शीर्षक वाला संयुक्त निमंत्रण इस आयोजन की पहली आधिकारिक घोषणा है।
निमंत्रण में पार्टी का कोई चिन्ह या झंडा नहीं है, बस महाराष्ट्र की एक ग्राफिक तस्वीर दिखाई गई है। इसमें मेजबान के रूप में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के नाम का उल्लेख है।
शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने पुष्टि की कि उद्धव और राज ठाकरे रैली में शामिल होंगे।
आने वाले महीनों में चर्चित मुंबई नगर निकाय और अन्य नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में मराठी पहचान के संवेदनशील मुद्दे पर दोनों भाइयों के बीच संभावित सुलह पर राज्य के राजनीतिक हलकों में उत्सुकता से नजर रखी जा रही है।
महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा एक से हिंदी भाषा की पढ़ाई शुरू करने को लेकर विरोध के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को त्रिभाषा नीति के कार्यान्वयन से संबंधित दो जीआर (सरकारी प्रस्ताव) वापस लेने की घोषणा की।
मनसे और शिवसेना (उबाठा) ने त्रिभाषा नीति के माध्यम से हिंदी भाषा को ‘थोपे जाने’ के खिलाफ विरोध मार्च का आह्वान किया था।
राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव वापस लिए जाने के तुरंत बाद, दोनों दलों ने मराठी लोगों की जीत का हवाला देते हुए, संयुक्त मार्च रद्द कर दिया।
बाद में उद्धव ठाकरे ने कहा कि पांच जुलाई को ‘मराठी मानुष की एकता’ का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
मंगलवार को जारी संयुक्त निमंत्रण ‘मराठी बहनों और भाइयों’ को संबोधित किया गया है, तथा रैली को मराठी गौरव व एकता का उत्सव बताया गया है।
निमंत्रण पर संदेश में लिखा है, ‘क्या हमने सरकार को झुका दिया? हां! यह जश्न आपका होगा और हम केवल आपकी ओर से लड़ रहे थे।’
शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने उद्धव के साथ मतभेदों के कारण जनवरी 2006 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
साल 2009 के विधानसभा चुनावों में (288 में से) 13 विधानसभा सीटें जीतने के बाद, मनसे ने धीरे-धीरे अपनी सियासी जमीन खो दी, और वर्षों से यह राज्य की राजनीति के हाशिये पर रही है।
राज ठाकरे ने कुछ महीने पहले एक साक्षात्कार के दौरान पुराने छोटे-छोटे मुद्दों को भूलने का संकेत दिया था। उद्धव ने भी अपने चचेरे भाई के साथ हाथ मिलाने की इच्छा भी जताई थी।
भाषा जोहेब नरेश
नरेश