नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नये आपराधिक कानूनों को लागू किये जाने को स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार करार देते हुए मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने इन्हें इस तरह से तैयार किया है कि नागरिकों के सभी अधिकार सुरक्षित रहें और कोई भी अपराधी सजा से न बच पाए।
नये आपराधिक कानूनों — भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के लागू होने के एक साल पूरे होने पर यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि ये कानून देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाने जा रहे हैं।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं भारत के सभी नागरिकों को आश्वस्त करता हूं कि नये कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन में अधिकतम तीन साल लगेंगे। मैं यह भी विश्वास के साथ कह सकता हूं कि किसी भी व्यक्ति को प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर न्याय मिल सकेगा।’’
बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने क्रमशः औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। नये कानून 1 जुलाई 2024 को लागू हुए थे।
गृह मंत्री ने तीनों नये कानूनों को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा सुधार करार देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी अपराधी अपराध करने के बाद सजा से न बच सके।
उन्होंने कहा कि निश्चित समय के भीतर न्याय अवश्य मिलेगा।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने आपके लिए कानून बनाए हैं और ये आपके सभी अधिकारों की रक्षा करेंगे।
एक जुलाई 2024 से सभी नयी प्राथमिकियां बीएनएस के तहत दर्ज की गईं। हालांकि, पहले दर्ज किये गए मामलों के निपटारे तक पुराने कानूनों के तहत उनमें मुकदमा चलाया जाता रहेगा।
नये कानून आधुनिक न्याय प्रणाली लेकर आए हैं, जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सम्मन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।
‘जीरो एफआईआर’ किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध किसी भी स्थान पर हुआ हो। बाद में, इसे संबद्ध थाने को हस्तांतरित कर दिया जाता है।
इन कानूनों में वर्तमान सामाजिक वास्तविकताओं और आधुनिक समय के अपराधों को ध्यान में रखा गया है तथा संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक तंत्र प्रदान किया जाएगा।
शाह ने कहा कि नये कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि औपनिवेशिक काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाती थी।
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