चेन्नई/शिवगंगा, एक जुलाई (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शिवगंगा में 29 वर्षीय एक व्यक्ति की हिरासत में हुई मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का मंगलवार को आदेश दिया है।
विपक्षी दलों द्वारा शिवगंगा जिले में स्थित एक मंदिर के सुरक्षा गार्ड की हिरासत में मौत को लेकर सत्तारूढ़ द्रमुक पर दबाव बनाए जाने के बीच मुख्यमंत्री का यह फैसला सामने आया है।
वहीं, राज्य सरकार ने इस मामले में जिला पुलिस प्रमुख सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इसने शिवगंगा के जिला पुलिस प्रमुख को मंगलवार को ‘‘अनिवार्य प्रतीक्षा’’ पर रखा जबकि घटना के संबंध में पुलिस उपाधीक्षक को भी निलंबित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर दुख हुआ कि पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए अजित कुमार की तिरुप्पुवनम में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह अनुचित है और इसे माफ नहीं किया जा सकता।’
शुरुआत में छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था, बाद में हत्या के आरोप में पांच को गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने बताया कि जिला पुलिस अधीक्षक को अनिवार्य प्रतीक्षा में रखा गया है, जबकि एक डीएसपी को निलंबित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मृतक के परिवार से बात की और उन्हें न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक ईमानदार व पारदर्शी जांच का आश्वासन दिया।
स्टालिन ने कहा, ‘मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने मामले की सीबी-सीआईडी जांच की अनुमति दे दी है। हालांकि, पांच पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे हैं, इसलिए जांच को लेकर कोई आशंका न रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए मैंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है।’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सीबीआई को पूरा सहयोग देगी।
मद्रास उच्च न्यायालय की मुदरै पीठ के समक्ष भी यह मामला उठाया गया था। पीठ ने मामले की जांच करने और आठ जुलाई को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त किया है और मामले की सीबीई-सीआईडी जांच की अनुमति दी है। पीड़ित परिवार ने अदालत के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी।
शिवगंगा के तिरुप्पुवनम के सुरक्षा गार्ड अजित कुमार को स्थानीय पुलिस ने पहले चोरी के एक मामले में पकड़ा था। एक ‘‘विशेष टीम’’ ने कथित तौर पर उसे बार-बार पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। कुमार की मौत से राजनीतिक दलों और नागरिक संस्थाओं ने काफी आक्रोश व्यक्त किया।
विभिन्न क्षेत्रों के लोगों द्वारा आलोचना किए जाने के बीच मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार से फोन पर बात की और उन्हें सांत्वना दी।
उन्होंने कुमार की मां से कहा, ‘‘मुझे बहुत खेद है, मैंने कार्रवाई करने को कहा है, गंभीर कार्रवाई करने को। मजबूत बने रहें।’’
स्टालिन ने ‘एक्स’ पर कुमार के परिवार के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत का वीडियो भी साझा किया।
स्टालिन ने एक संदेश में कहा, ‘‘तिरुप्पुवनम (शिवगंगा) के युवक के साथ जो क्रूरता हुई, वह किसी के साथ नहीं होनी चाहिए; यह एक ऐसी गलती है, जिसे किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। यह सरकार उन लोगों (पुलिसकर्मियों) को सजा सुनिश्चित करेगी, जो अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहे हैं और पीड़ित के परिवार के साथ खड़ी रहेगी।’’
अजित कुमार के भाई नवीनकुमार ने बताया कि स्टालिन ने उनसे बात की और सहानुभूति जताई। उन्होंने शिवगंगा के तिरुप्पुवनम में संवाददाताओं से कहा, “मैंने अपनी योग्यता के आधार पर नौकरी का अनुरोध किया है और मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।’’
कुमार की मां ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि मेरे बेटे को पानी दिए बिना ही पीटा गया।’’
राज्य के सहकारिता मंत्री केआर पेरियाकरुप्पन ने शोकाकुल परिवार से मुलाकात की।
इस घटना को लेकर विपक्ष ने द्रमुक सरकार पर जमकर निशाना साधा।
राज्य के मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्नाद्रमुक मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने हिरासत में हुई मौत के मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करते हुए कहा कि लोगों का राज्य की पुलिस से भरोसा उठ गया है।
अन्नाद्रमुक प्रमुख एवं विपक्ष के नेता ए. के. पलानीस्वामी ने घटना को लेकर स्टालिन की निंदा की और कहा कि ‘‘जनता और हमें’’ इस मामले में मुख्यमंत्री के ‘‘नाटक’’ पर विश्वास नहीं है।
खबरों का हवाला देते हुए पलानीस्वामी ने दावा किया कि सुरक्षा गार्ड अजित कुमार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोटों का खुलासा हुआ है। उन्होंने इसे ‘‘पुलिसिया अत्याचार के कारण हुई हत्या’’ करार दिया।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समाचार संस्थाएं आपके नाटक पर यकीन कर सकते हैं जैसे कि समीक्षा बैठक आयोजित करना या यह मामला सीबीआई-सीआईडी को सौंपना। चाहे लोग हों या हम, इस नाटक पर यकीन नहीं कर सकते हैं।’’
पलानीस्वामी ने आरोप लगाया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले शासन में लोग सुरक्षित नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को पुलिस की फर्जी प्राथमिकी में कोई भरोसा नहीं है। इसलिए यह मामला सीबीआई को भेजा जाना चाहिए।’’
पलानीस्वामी ने घटना के लिए मुख्यमंत्री को भी ‘‘जिम्मेदार’’ ठहराया और जवाब मांगा।
अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन किया और पीड़ित के लिए न्याय की मांग की। उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था ‘‘अजित कुमार के लिए न्याय।’’
अभिनेता और तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) नेता विजय ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की मांग की।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि अजित कुमार की मौत को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष नैनार नागेन्द्रन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को पत्र लिखकर अजित कुमार की हिरासत में मौत होने के मामले और तमिलनाडु में इसी तरह की घटनाओं की जांच की मांग की।
पट्टाली मक्कल काच्ची (पीएमके) के नेता डॉ. अंबुमणि रामदास ने भी सीबीआई जांच की मांग की।
इस बीच यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि सुरक्षा गार्ड की मौत के संबंध में कार्रवाई की गई है।
उन्होंने घटना के संबंध में शिवगंगा के जिला पुलिस प्रमुख को सरकार द्वारा ‘‘अनिवार्य प्रतीक्षा’’ में रखे जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कार्रवाई की गई है, गिरफ्तारियां की गई हैं… उच्च अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।’’
तमिलनाडु सरकार ने इस मामले में शिवगंगा के जिला पुलिस प्रमुख को मंगलवार को ‘‘अनिवार्य प्रतीक्षा’’ पर रखा है।
गृह विभाग के एक पत्र में कहा गया है कि आशीष रावत, आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा), पुलिस अधीक्षक, शिवगंगा को ‘‘पुलिस महानिदेशक/एचओपीएफ (पुलिस बल प्रमुख), तमिलनाडु, चेन्नई के कार्यालय में अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखा गया है।’’
अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरज कुमार की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि जी. चंदीश, आईपीएस, एसपी रामानाथपुरम अब शिवगंगा का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे।
वकील एवं कार्यकर्ता हेनरी टीफाग्ने ने मदुरै में कहा कि मनमदुरै के डीएसपी के अधीन काम करने वाली एक ‘‘विशेष टीम’’ इस घटना में शामिल थी।
मामले की पैरवी करने वाले वकीलों में से एक टीफाग्ने ने बताया कि उच्च न्यायालय में सरकारी पक्ष ने दलील दी कि संबंधित अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।
इसके अलावा, घटना के सिलसिले में पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है।
सोमवार देर रात जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस मामले की उचित जांच शुरू की गई और सोमवार रात को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ‘‘बिना कोई देरी किए’’ आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
इसके बाद, मामले में हत्या के आरोप दर्ज किए गए और ‘‘इसमें शामिल पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया।’’
इस बीच, राज्य के कानून मंत्री एस. रघुपति ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने पुदुकोट्टई में इस मामले के संबंध में संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी को भी सुरक्षा देने की कोई बाध्यता नहीं है।’’
भाषा
प्रीति पवनेश
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