नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी के चिकित्सकों के साथ बैठक की और उन्होंने राष्ट्र निर्माण में चिकित्सकों की भूमिका की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी को एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए अपनी सरकार की रूपरेखा प्रस्तुत की।
दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री ने ‘दिल्ली मेडिकल फोरम’ के बैनर तले चिकित्सा समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों से मुलाकात की।
अपने संबोधन में गुप्ता ने चिकित्सकों को ‘ईश्वर का दूत’ बताया और विशेष कर कोविड-19 महामारी समेत हर संकट के दौर में समाज के प्रति उनकी अद्वितीय सेवा को स्वीकार किया।
उन्होंने चिकित्सकों से दिल्ली के संकटग्रस्त स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया और चिकित्सक दिवस पर एक प्रतीकात्मक ‘रिटर्न गिफ्ट’ देने को कहा, जिसमें दिल्ली को नागरिक-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मॉडल बनाने के मकसद से उनका सहयोग और मार्गदर्शन मांगा गया।
इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी उपस्थित थे और कार्यक्रम में चिकित्सा पेशेवरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में एक समर्पित चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा, ताकि विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान की जा सके और राष्ट्रीय राजधानी को चिकित्सा के रूप में बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से शिक्षा के लिए कोटा की अलग पहचान है वैसे ही दिल्ली को गुणवत्तापूर्ण उपचार के लिए पहली पसंद बनाया जाएगा।’’
दिल्ली में प्रति एक हजार लोगों पर सरकारी अस्पतालों में मात्र 0.42 बिस्तर होने के बारे में बात करते हुए गुप्ता ने घोषणा की, ‘‘हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इसे बढ़ाकर प्रति 1,000 लोगों पर कम से कम तीन बिस्तर करना है।’’
इसके अतिरिक्त, उन्होंने देश भर में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को भी श्रेय दिया तथा उस दृष्टिकोण के अनुरूप “विकसित दिल्ली” को वास्तविकता बनाने का संकल्प लिया।
भाषा यासिर पवनेश
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