नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ‘माइक्रोग्रैविटी’ की स्थिति में मांसपेशियों को होने वाले नुकसान को समझने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं। यह अध्ययन बुजुर्गों के हिलने-डुलने में असमर्थता के इलाज के लिए दवाओं का पता लगाने में मददगार हो सकता है।
शुक्ला इसरो-नासा की संयुक्त पहल के तहत आईएसएस जाने वाले एक्सिओम-4 निजी अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा हैं। वह पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आईएसएस पहुंचे थे।
एक्सिओम स्पेस ने एक बयान में कहा, ‘शुक्ला ने मायोजेनेसिस अध्ययन के लिए लाइफ साइंसेज ग्लोवबॉक्स (एलएसजी) में प्रयोग किए, जिससे यह पता चल सकता है कि माइक्रोग्रैविटी से मांसपेशियों को किस तरह नुकसान होता है।”
एक्सिओम स्पेस ने कहा, ‘इन जानकारियों का उपयोग मांसपेशियों की क्षति से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहतर उपचार में किया जा सकता है, जिनमें उम्र बढ़ने पर हिलने-डुलने में अक्षमता जैसी समस्याएं भी शामिल हैं।’
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