नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद के. राधाकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की बात सुनने के फैसले के विरोध में भाजपा सांसदों के बहिर्गमन के बाद संसदीय समिति की बैठक को अचानक समाप्त कर देना संसदीय विचार-विमर्श और लोकतांत्रिक परामर्श की भावना को कमजोर करता है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की बैठक इसलिए संक्षिप्त कर दी गई क्योंकि भाजपा सांसदों ने समिति द्वारा पाटकर की बात सुनने के निर्णय का विरोध किया।
पाटकर ने गुजरात में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था और सत्तारूढ़ पार्टी ने उन पर सार्वजनिक व पर्यावरणीय कारणों के नाम पर देश के विकास हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान संसद द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण कानून के कार्यान्वयन व प्रभावशीलता पर विचार जानने के लिए पाटकर को बुलाया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद पुरुषोत्तम रूपाला के साथ उनकी पार्टी के अन्य सांसद भी बैठक से बाहर निकल गए, जिनमें से कुछ ने पाटकर को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दिया।
भाजपा के एक सांसद ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान के नेताओं को भी ऐसी बैठक में बुलाया जा सकता है।
लोकसभा में माकपा के नेता और समिति के सदस्य राधाकृष्णन ने कहा कि यह घटना गंभीर सवाल खड़े करती है।
उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की बैठक को अचानक समाप्त कर देना संसदीय विचार-विमर्श और लोकतांत्रिक परामर्श की भावना को कमजोर करता है।
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