ईटानगर, दो जुलाई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बुधवार को दावा किया कि उनके राज्य को भारत का सबसे बड़ा ‘कार्बन सिंक’ होने का गौरव हासिल है।
‘कार्बन सिंक’ का अभिप्राय ऐसी चीज से है जो वायुमंडल से जितना कार्बन छोड़ती है उससे कहीं ज्यादा अवशोषित करती है।
खांडू ने कहा कि अरुणाचल एक पारिस्थितिक महाशक्ति है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देश को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर रहा है।
खांडू ने अपने प्रशासन के ‘पेमा 3.0-सुधार और विकास का वर्ष’ अभियान के तहत एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात पर प्रकाश डाला कि अरुणाचल प्रदेश भारत के कुल कार्बन अवशोषण में उल्लेखनीय 14.38 फीसदी का योगदान देता है।
उन्होंने दावा किया कि 79 फीसदी वन क्षेत्र के साथ राज्य में मौजूदा समय में 102.1 करोड़ टन ‘कार्बन स्टॉक’ है, जो देश में सबसे अधिक है।
‘कार्बन स्टॉक’ से तात्पर्य किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र में किसी निश्चित समय पर संग्रहित कार्बन की कुल मात्रा से है।
खांडू ने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों में अरुणाचल के व्यापक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘यह समृद्ध ‘कार्बन स्टॉक’ भारत के लिए 2070 तक अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के लिहाज से अहम है।’’
हालांकि, अरुणाचल प्रदेश का विशाल हरित क्षेत्र इसे शीर्ष ‘कार्बन सिंक’ बनाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहे हैं और हकीकत का रूप लेते जा रहे हैं जिसके कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
खांडू ने कहा, ‘‘हिमालय की गोद में स्थित अरुणाचल प्रदेश 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’’
उनकी टिप्पणियां न केवल अरुणाचल के वनों के पारिस्थितिक मूल्य पर प्रकाश डालती हैं, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक जलवायु प्राथमिकताओं के अनुरूप भी हैं।
घने उष्णकटिबंधीय वर्षावनों और अल्पाइन वनभूमियों तक फैली राज्य की वन संपदा भारी मात्रा में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती है जो जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक है।
भाषा पारुल खारी
खारी