पटना, दो जुलाई (भाषा) भाजपा की बिहार इकाई ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित कर लालू प्रसाद की राजद नीत महागठबंधन की “तुष्टीकरण की राजनीति” की आलोचना की। महागठबंधन वक्फ अधिनियम का विरोध कर रहा है।
रक्षा मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की मौजूदगी में यहां हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने दो पन्नों का राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया। इसके अलावा एक ‘विजय संकल्प प्रस्ताव’ भी पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में “लालू (प्रसाद) और उनके सहयोगी हमें नहीं हरा सकते”।
राजनीतिक प्रस्ताव में “मोदी सरकार के 11 वर्ष” पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि “हम लालू यादव और महागठबंधन की तुष्टीकरण की राजनीति का विरोध करते हैं”।
प्रस्ताव में राजद सुप्रीमो के बेटे तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेताओं कन्हैया कुमार व इमरान प्रतापगढ़ी की आलोचना की गई, जिन्होंने कुछ दिन पहले वक्फ अधिनियम के विरोध में यहां आयोजित एक रैली में भाग लिया था।
प्रस्ताव में कहा गया, “इन नेताओं ने वक्फ कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात कही। यह कानून संसद से पारित हो चुका है और इनका रुख संविधान विरोधी है। उनका रुख तुष्टीकरण की राजनीति के अनुरूप है, जो पसमांदा समुदाय के लिए बहुत नुकसानदेह है, जो सदियों से उत्पीड़न के शिकार रहे हैं।”
इसमें कहा गया है, “भाजपा समाज के किसी भी वर्ग के कल्याण से कभी समझौता नहीं करेगी। वक्फ संशोधन अधिनियम देश में हो रहे सामाजिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा। हम इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हैं।”
प्रस्ताव में 50 साल पहले लगाए गए आपातकाल का भी जिक्र किया गया और आरोप लगाया गया कि “(इंदिरा गांधी के) नारे ‘गरीबी हटाओ’ के पीछे कई पीढ़ियों का जीवन बर्बाद हो गया। मोदी के नेतृत्व में ही 27 करोड़ लोग गरीबी से उबरने में सफल हुए हैं।”
प्रस्ताव में राजनाथ सिंह की इस बात के लिए भी सराहना की गई कि उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करके चीन को उसकी धरती पर रहते हुए आतंकवाद के प्रति दोहरे मानदंडों के खिलाफ कड़ा संदेश दिया।
‘विजय संकल्प प्रस्ताव’ में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन के तहत बिहार में आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया, इसके अलावा जाति जनगणना के लिए केंद्र की मंजूरी की ओर इशारा किया गया, जो राज्य में एक भावनात्मक मुद्दा रहा है।
भाषा प्रशांत माधव
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