भुवनेश्वर, दो जुलाई (भाषा) सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान से निकलकर ओडिशा समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्यों में भटकने वाली बाघिन जीनत के गर्भवती होने की संभावना है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
बाघिन जीनत तीन राज्यों में भटकती रही और 23 दिनों के बाद पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले से उसे पकड़ लिया गया, जहां से उसे वापस सिमिलिपाल लाया गया।
बाघिन को सिमिलिपाल में एक जनवरी को एक बाड़े में रखा गया, जहां उस पर कई सप्ताह तक नजर रखी गई।
अधिकारी ने बताया, ‘‘बाड़े में रहने के दौरान वह स्वस्थ और तंदुरुस्त पाई गई और 17 अप्रैल को जीनत को जंगल में छोड़ दिया गया।’’
अधिकारी ने बताया, ‘‘बड़े बाड़े में रहने के दौरान भी जीनत जंगली नर बाघ टी12 के प्रति आकर्षित हुई। इस अवसर का लाभ उठाते हुए बाघिन को बाड़े से बाहर निकाल दिया गया। मई महीने के दूसरे सप्ताह में टी 12 बाघ के साथ उसके संसर्ग को थर्मल कैमरे में रिकार्ड कर लिया गया जो जमुना चारागाह में लगाए गए थे।’’
जंगल में छो़ड़े जाने के बाद से जीनत अभ्यारण्य के मुख्य क्षेत्र में घूम रही है और चीतल, सांभर तथा जंगली सूअर का शिकार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘बाघिन पर ‘ट्रैकिंग टीम’ द्वारा 24 घंटे नजर रखी जा रही है। प्रत्येक टीम में चार लोग शामिल हैं और सैटेलाइट आधारित जीपीएस का उपयोग करके भी इसकी निगरानी की जा रही है।’’
उन्होंने बताया, ‘‘ उसने संसर्ग बंद कर दिया है और खुद को एकांत में समेट लिया है जो गर्भवती होने का प्रमुख संकेत है।’’
अधिकारी ने बताया, ‘‘बाघों में गर्भधारण की अवधि 105 से 120 दिनों तक होती है, इसलिए हमें उम्मीद है कि जीनत अगस्त या सितंबर की शुरुआत में अपने बच्चों को जन्म देगी।’’
जीनत को महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभ्यारण्य (टीएटीआर) से सिमिलिपाल लाया गया था। वह सात दिसंबर को एसटीआर से भाग गई थी और 23 दिनों के बाद पश्चिम बंगाल के बांकुरा में पकड़े जाने से पहले तीन राज्यों में घूमती रही।
‘नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज’ बेंगलुरु की डॉ. उमा रामकृष्णन के एक शोध के अनुसार, 2021 में सिमिलिपाल के अंदर बाघों की आबादी आनुवंशिक रूप से अलग है और रिजर्व के भीतर अंतःप्रजनन हो रहा है।
अधिकारी ने बताया कि अंत:प्रजनन को रोकने के लिए बाघों को मध्य भारत से एसटीआर में छोड़े जाने का प्रस्ताव रखा गया था।
भाषा यासिर नरेश
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