(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, दो जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने अलग-थलग चल रहे ठाकरे भाइयों के बीच संभावित गठबंधन की संभावना को बुधवार को लगभग खारिज करते हुए दावा किया कि ऐसा होने पर उद्धव राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो जाएंगे और राज ठाकरे उनकी जगह शिवसेना (उबाठा) के नेता बन जाएंगे।
भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रिभाषा नीति के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी भाषा शुरू करने के दो सरकारी प्रस्तावों को रविवार को रद्द करने के बाद दोनों ठाकरे भाई पांच जुलाई को ‘विजय रैली’ का ‘आयोजन’ कर रहे हैं।
भाजपा सांसद राणे ने यहां विधान भवन के परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘उद्धव उन्हें (राज ठाकरे को गठबंधन के लिए) आमंत्रित नहीं करेंगे। चूंकि अगर राज ने उद्धव के साथ हाथ मिला लिया तो वह शिवसेना (उबाठा) के नेता बन जाएंगे और उद्धव अप्रासंगिक हो जाएंगे। राज ठाकरे कभी भी शिवसेना (उबाठा) में शामिल नहीं होंगे क्योंकि ऐसा कदम उठाने से उनकी मौजूदा पहचान मिट जाएगी।’’
शिव सेना के पूर्व नेता राणे ने कहा कि राज उद्धव के साथ हाथ मिलाना चाहते हैं या नहीं, यह उनका निजी मामला और पारिवारिक मामला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम (भाजपा) उनका मार्गदर्शन नहीं कर सकते।’’
उन्होंने उद्धव की इन कथित टिप्पणियों को खारिज कर दिया कि शिवसेना छोड़कर राज द्वारा मनसे बनाने के लगभग 20 साल बाद दोनों चचेरे भाइयों के बीच सुलह से भाजपा असहज हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘केवल दो भाई ही क्यों? सभी भाइयों को ले लीजिए। हमें कोई आपत्ति नहीं है। आज, भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 235 विधायक हैं।’’
राणे ने उद्धव पर अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को ‘बर्बाद’ करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘बालासाहेब ने 48 साल में जो हासिल किया, उसे उद्धव ने सिर्फ ढाई साल में बर्बाद कर दिया। मूल शिवसेना (उपमुख्यमंत्री) एकनाथ शिंदे की है।’’
उन्होंने उद्धव पर मराठी लोगों के हित के लिए केवल दिखावा करने का आरोप लगाया और मराठी गौरव के लिए मन में ‘अचानक चिंता’ पैदा होने पर सवाल उठाया।
राणे ने कहा,‘‘आपके बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में गए। बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में किसका दाखिला हुआ?’’
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सही ही इस ओर इशारा किया है।
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, ‘‘1960 में मुंबई में मराठी लोगों की आबादी 60 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 18 प्रतिशत रह गई है। आपने मराठी मानुष के लिए क्या किया? उनके लिए न्याय के नाम पर क्या हासिल हुआ? ढाई साल तक उद्धव सत्ता में रहे, लेकिन वे केवल दो बार मंत्रालय गए।’’
राणे ने उद्धव पर मराठी युवाओं को रोजगार देने में विफल रहने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना को मराठी लोगों ने समर्थन दिया और उसे मजबूत किया। लेकिन वफादारों के इस मजबूत आधार का इस्तेमाल केवल राजनीतिक अस्तित्व (ठाकरे परिवार) के लिए किया गया। और अब ये लोग (उद्धव) मराठी भाषा के जश्न मना रहे हैं। उद्धव को मराठी लोगों या हिंदुत्व की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’’
भाषा राजकुमार नरेश
नरेश