बेंगलुरु, दो जुलाई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को करोड़ों रुपये के वाल्मीकि निगम घोटाले में अपनी-अपनी जांच के दौरान एकत्र सभी दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों की प्रमाणित प्रतियां सीबीआई को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने मंगलवार को केन्द्रीय एजेंसी द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया। यह एक व्यापक रिट याचिका का हिस्सा है, जिसमें अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए कल्याण निधि के कथित गबन की अदालत की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की गई है।
यह याचिका चार भाजपा नेताओं – विधायक बी पाटिल यतनाल, रमेश जारकीहोली, अरविंद लिम्बावल्ली और कुमार बंगारप्पा – द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने एसआईटी पर मामले में रसूखदार आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया था।
अपनी नवीनतम वस्तु स्थिति रिपोर्ट में सीबीआई ने खुलासा किया कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (वाल्मीकि निगम) से लगभग 89.63 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई और यह राशि लगभग 700 बैंक खातों के माध्यम से हस्तांतरित की गई।
यह घोटाला मई 2023 में सामने आया, जब वाल्मीकि निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी की अपने घर पर आत्महत्या कर ली थी।
भाषा नोमान सुभाष
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