तिरुवनंतपुरम, तीन जुलाई (भाषा) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने फिल्म ‘जानकी वर्सेस स्टेट ऑफ केरल’ (जेएसके) को मंजूरी देने से इनकार करने के लिए बृहस्पतिवार को सेंसर बोर्ड की कड़ी आलोचना की और मामले पर चुप रहने के लिए, फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी पर निशाना साधा।
सूत्रों के अनुसार, फिल्म को प्रमाणन से इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि इसमें मुख्य पात्र का नाम ‘जानकी’ (देवी सीता का दूसरा नाम) है।
फिल्म में एक महिला की कहानी है जो यौन उत्पीड़न के बाद कानूनी लड़ाई लड़ती है।
वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘अभिनेता और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी को हमने कई बार यह कहते सुना है कि सिनेमा उनके जीवन का उसी तरह अभिन्न हिस्सा है, जैसे रोज़मर्रा के भोजन में चावल ज़रूरी होता है। लेकिन जिस व्यवस्था का वह खुद हिस्सा हैं, वही उस चावल पर कीचड़ उछाल रही है और फिर भी वह चुप हैं।’
अलप्पुझा के सांसद ने अभिनेता से राजनेता बने गोपी से अपनी चुप्पी तोड़ने और अपनी फिल्म तथा साथी कलाकारों के पक्ष में बोलने का आग्रह किया।
वेणुगोपाल ने सेंसर बोर्ड पर कलात्मक स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘सेंसर बोर्ड का रुख अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बुनियाद पर ही प्रहार करता है।’
उन्होंने कहा, ‘सिनेमा और साहित्य में रचनाकारों को शीर्षक और नाम चुनने की संवैधानिक स्वतंत्रता है। इसे नकारना संविधान का अपमान है।’
वेणुगोपाल ने कहा कि राम, कृष्ण, सीता और राधा जैसे नामों का इस्तेमाल भारतीय फिल्मों में दशकों से किया जा रहा है और कई लोकप्रिय फिल्मों में भी इसी तरह के नाम रखे गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत में अधिकतर व्यक्तिगत नाम हिंदू पौराणिक कथाओं से लिए गए हैं।’
वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकारों ने सेंसर बोर्ड को कभी भी इस तरह से काम करने की अनुमति नहीं दी, जिससे उसकी विश्वसनीयता कम हो।
उन्होंने फिल्म और इसके निर्माताओं के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘मैं राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई में जानकी और उसके कलाकारों के साथ खड़ा हूं।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘संकीर्ण मानसिकता की राजनीति के नाम पर कट लगाने वाले सेंसर बोर्ड के प्रत्येक सदस्य को संविधान और देश के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि मोहनलाल अभिनीत फिल्म ‘एम्पुरान’ में भी सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने के बाद कुछ दृष्य काटने पड़े।’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस देश को कहां ले जा रही है? किस तरह का डर कलाकारों को अपनी ही कृतियों को सेंसर करने के लिए मजबूर कर रहा है?’
उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार और संबंधित विभाग अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से बताएं।
उन्होंने कहा, ‘मामले के अदालत में पहुंचने के बाद भी सरकार की लगातार चुप्पी संदिग्ध है।’
एआईसीसी महासचिव ने आरोप लगाया, ‘यह एक घोषित एजेंडा लगता है — भोजन, पहनावा, नाम और अब कला तक को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।’
केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह सुरेश गोपी-अभिनीत फिल्म, ‘जानकी वर्सेस स्टेट ऑफ केरल’ (जेएसके) को पांच जुलाई को देखने के बाद ही तय करेगा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सुझाव के अनुरूप फिल्म का नाम बदला जाना चाहिए या नहीं।
भाषा
योगेश मनीषा
मनीषा