बेंगलुरु, तीन जुलाई (भाषा) भाजपा नेता आर. अशोक ने बृहस्पतिवार को कहा कि कथित “सत्ता-साझाकरण समझौते” के बावजूद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा कार्यकाल पूरा करने के बारे में बार-बार दावा किया जाना कांग्रेस आलाकमान का सीधे तौर पर अपमान है।
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि जब एक मौजूदा मुख्यमंत्री अपने स्थायी होने पर बार-बार जोर देता है और सुविधाजनक रूप से पार्टी की आंतरिक प्रतिबद्धताओं की अनदेखी करता है, तो “यह विश्वास नहीं, बल्कि अवज्ञा है”।
इस वर्ष के अंत में सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा था कि वह पूरे पांच साल तक पद पर बने रहेंगे।
अशोक ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “(कांग्रेस) ‘आलाकमान की इच्छा’ का क्या हुआ? क्या कर्नाटक में उसका प्रभाव नाममात्र का रह गया है? या सिद्धरमैया ने पार्टी अनुशासन से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी है?”
उन्होंने कहा, “सत्ता साझा करने के समझौते को दरकिनार कर और साथ में यह कहकर कि ‘इसमें संदेह क्यों होना चाहिए’, मुख्यमंत्री न सिर्फ कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार की भूमिका को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की राजनीतिक साख को भी सार्वजनिक रूप से ठेस पहुंचा रहे हैं।”
खरगे ने सोमवार को कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन जैसे मामलों पर निर्णय लेना पार्टी आलाकमान पर निर्भर है।
अशोक ने कहा कि यदि कांग्रेस आलाकमान के पास कोई वास्तविक नियंत्रण होता तो वह अपने ही मुख्यमंत्री को आंतरिक व्यवस्था का इतनी बेशर्मी से उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देता।
उन्होंने कहा कि लेकिन फिर, हो सकता है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी का फैसला नेतृत्व और वफादारी से नहीं बल्कि “लॉटरी” और “भाग्य” से होता हो।
भाजपा नेता ने कहा कि अब सवाल यह नहीं है कि सिद्धरमैया अपना कार्यकाल पूरा करेंगे या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या कांग्रेस आलाकमान में खुद को साबित करने का साहस है।
मई 2023 में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया एवं शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी और कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में कामयाब रही तथा उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
उस समय कुछ खबरें थीं कि ‘‘क्रमिक मुख्यमंत्री फॉर्मूला’’ के आधार पर समझौता हुआ है जिसके अनुसार शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन पार्टी द्वारा इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई।
भाषा
प्रशांत नेत्रपाल
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