धारवाड़ (कर्नाटक), तीन जुलाई (भाषा) कांग्रेस की एक रैली के दौरान अप्रैल में मुख्यमंत्री के गुस्से का सामना करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगने वाले अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नारायण बरमणि ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, गृह मंत्री जी. परमेश्वर और उच्च अधिकारियों ने उनसे बात की।
उन्होंने इस प्रकरण और उनके वीआरएस की स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की और कहा कि वह एक अनुशासित विभाग में हैं।
बरमणि ने संवाददाताओं को बताया, “चूंकि मैं एक अनुशासित विभाग में हूं, इसलिए मैंने अपनी भावनाएं अपने उच्च अधिकारियों से साझा की हैं। मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और उच्च अधिकारियों ने इस संबंध में मुझसे बात की है। मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं।”
सिद्धरमैया 28 अप्रैल को बेलगावी में एक रैली को संबोधित कर रहे थे और इसी दौरान महिलाओं के एक समूह जो कथित तौर पर भाजपा कार्यकर्ता थीं, ने उनके भाषण को बाधित करने की कोशिश की थी। इसी पर सिद्धरमैया अपना आपा खो बैठे थे और मंच पर एक पुलिस अधिकारी पर हाथ उठा दिया था, जो केवल सांकेतिक था।
जब बड़ी भीड़ के बीच मौजूद महिलाओं के एक समूह ने उनके भाषण के दौरान काले झंडे दिखाए और नारे लगाए, तो परेशान सिद्धरमैया ने एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी को मंच पर बुलाया। उन्होंने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “यहां आओ, एसपी कौन है? तुम क्या कर रहे हो?”
इसके बाद मुख्यमंत्री को हताशा में अधिकारी की ओर हाथ उठाते हुए देखा गया, लेकिन उन्होंने तुरंत अपना हाथ वापस ले लिया और बाद में उन्हें हंगामा कर रहे लोगों को हटाने का निर्देश दिया।
गृह विभाग को लिखे गए बरमणि के कथित पत्र में कहा गया है, “एक ऐसी गलती के लिए मंच पर मुख्यमंत्री के व्यवहार से सार्वजनिक रूप से तिरस्कृत और अपमानित होने के बाद, जो मैंने नहीं की, मेरे पास स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में पत्र की सामग्री साझा करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पुलिस विभाग का मनोबल गिराया है।
भाषा प्रशांत नरेश
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