नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को कहा कि श्रमशक्ति में वृद्धि और प्रौद्योगिकी के समावेश के साथ पिछले नौ महीनों में साक्ष्यों को संसाधित करने की फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है।
तीन नए कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए आयोजित प्रदर्शनी में श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ मान लीजिए कि एफएसएल, रोहिणी की क्षमता सितंबर 2024 में प्रति माह 900 नमूने संसाधित करने की थी, जो पिछले नौ महीनों में बढ़कर 1,800 नमूने प्रति माह हो गई है।’’
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘एफएसएल दो मोर्चों पर काम कर रही है – प्रौद्योगिकी का समावेश, जिससे अब उनके पास अधिक उपकरण हैं, तथा श्रमशक्ति में वृद्धि, जिससे अब उनके पास अपनी भूमिकाओं के लिए अधिक विशेषज्ञ हैं। इसलिए, फॉरेंसिक साक्ष्यों के निपटान की दर बहुत अधिक हो गई है।’’
विशेष पुलिस आयुक्त ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अधिक प्रयास से निपटान की दर भी तेज होगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस तीनों आपराधिक कानूनों के तहत सभी मॉड्यूल के 100 प्रतिशत कार्यान्वयन की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ‘फील्ड यूनिट’ से मिलने वाले जवाबों पर काम कर रही है और जो भी समस्याएं आ रही हैं, उनका समाधान किया जा रहा है।
यहां भारत मंडपम के हॉल 14 में आयोजित प्रदर्शनी में नौ ‘सेटअप’ हैं, जहां राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कलाकार नाटकों के माध्यम से अपराध जांच में शामिल प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं।
नए कानून – बीएनएस, बीएनएसएस, बीएसए पिछले साल एक जुलाई को लागू हुए थे जिन्होंने क्रमशः ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया।
भाषा नेत्रपाल पवनेश
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