नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद समीरुल इस्लाम ने पड़ोसी राज्य ओडिशा में पश्चिम बंगाल के बांग्ला भाषी प्रवासियों का उत्पीड़न होने का दावा करते हुए बृहस्पतिवार को सवाल किया कि भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता है।
विभिन्न राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों को बांग्लादेशी बताये जाने का मुद्दा उठा रहे सांसद ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत की ओर से ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को लिखा एक पत्र साझा किया, जिसमें कहा गया है कि पड़ोसी राज्य के अधिकारी आधार और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) जैसे केंद्र सरकार द्वारा जारी पहचान दस्तावेजों को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं।
इस्लाम ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव श्री मनोज पंत ने ओडिशा के अपने समकक्ष को पत्र लिखकर बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न को रोकने का आग्रह किया। ओडिशा के अधिकारियों ने आधार और ईपीआईसी समेत केंद्र द्वारा जारी किसी भी पहचान दस्तावेज को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और बंगाल सरकार से सत्यापन की मांग की।’
आहूजा को लिखे पत्र में पंत ने कहा कि ओडिशा में बांग्ला भाषी प्रवासियों को परेशान किया जा रहा है और उनकी मातृभाषा के कारण उन्हें गलत तरीके से बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है।
इस्लाम ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आवश्यक विवरण उपलब्ध कराने के बावजूद ओडिशा में पुलिस प्रवासी श्रमिकों को रिहा करने से इनकार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन इससे भी उन्हें संतुष्टि नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने मतदाता सूची मांगी, जिसमें इन व्यक्तियों के नाम सूचीबद्ध थे। एक बार फिर, बंगाल प्रशासन ने अनुपालन किया और संबंधित दस्तावेज भेजे।’
टीएमसी नेता ने कहा, ‘अब, ओडिशा के पास कोई और मांग नहीं बची है – लेकिन फिर भी, उनकी पुलिस कई मामलों में इन गरीब प्रवासी श्रमिकों को रिहा करने से इनकार कर रही है। वे उन प्रवासी श्रमिकों को अदालत में पेश किए बिना 24 घंटे के बाद अवैध रूप से हिरासत में ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं नरेन्द्र मोदी (प्रधानमंत्री) और अमित शाह (गृह मंत्री) से विनम्रतापूर्वक पूछता हूं कि इन गरीब नागरिकों को भारतीय के रूप में मान्यता देने के लिए आपको किस विशिष्ट दस्तावेज की आवश्यकता है? आपको इससे अधिक और क्या चाहिए?’
भाषा
जोहेब नरेश
नरेश