शिमला, तीन जुलाई (भाषा) निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य तेनजिंग जिगदल ने बृहस्पतिवार को चीन को एक ‘‘नास्तिक देश’’ करार दिया, जो लंबे समय से दलाई लामा को बदनाम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में निर्णय स्थापित संस्था और तिब्बती बौद्ध नेता द्वारा ही लिया जाएगा।
अपने 90वें जन्मदिन से पहले तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा था कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा।
जिगदल ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन आध्यात्मिक प्रक्रिया और स्थापित तिब्बती प्रथा के माध्यम से किया जाएगा, जैसा कि वर्तमान दलाई लामा समेत अन्य दलाई लामाओं के साथ होता है।’’
चीन ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नेता की उत्तराधिकार योजना को खारिज कर दिया तथा इस बात पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी स्वीकृति मिलनी चाहिए। इस तरह, तिब्बती बौद्ध धर्म के चीनी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ दशकों से जारी संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया।
चीन के इस दावे को खारिज करते हुए कि 15वें दलाई लामा के लिए उसकी मंजूरी जरूरी है, जिगदल ने कहा कि सीमाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है और वह (उत्तराधिकारी) कहीं भी जन्म ले सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन का दावा विडंबनापूर्ण और पाखंडपूर्ण है क्योंकि वह एक नास्तिक देश है और लंबे समय से दलाई लामा को बदनाम कर रहा है।’’
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश