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Friday, July 4, 2025

एजेपी ने गिर से लाई गईं गाय भाजपा नेताओं को बेचने का आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की

Newsएजेपी ने गिर से लाई गईं गाय भाजपा नेताओं को बेचने का आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की

गुवाहाटी, तीन जुलाई (भाषा) असम जातीय परिषद (एजेपी) ने गुजरात के गिर से लाई गईं 90 गाय भाजपा के एक मंत्री की पत्नी, एक सांसद और विधायकों समेत कई व्यक्तियों को बेचे जाने का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया और मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में, एजेपी के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली असम सरकार पर 2021 में शुरू की गई गोरुखुटी बहुउद्देशीय कृषि परियोजना के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘असम में हाल ही में घोर अनियमितताएं, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, साथ ही भारतीय संस्कृति में माता के रूप में पूजी जाने वाली पवित्र गाय के साथ अपवित्रता व सार्वजनिक विश्वासघात का शर्मनाक कृत्य भी सामने आया है।’

गोगोई ने कहा, ‘यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं है – यह अनैतिक, अधार्मिक और अत्यंत अमानवीय कृत्य है, जिसने लाखों लोगों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’

गोगोई ने कहा कि यह मामला जुलाई 2021 में शुरू की गई गोरुखुटी बहुउद्देशीय कृषि परियोजना से संबंधित है, जिसके तहत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ समझौते के जरिए गुजरात से 300 गिर गाय खरीदी गई थीं।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, अब गंभीर आरोप सामने आए हैं। 2-3 अप्रैल, 2022 को रंगिया रेलवे स्टेशन लाए जाने के बाद कुल 90 गिर गायें लापता हो गईं। मुख्यमंत्री और परियोजना अध्यक्ष के विरोधाभासी बयानों ने जनता के संदेह को और गहरा कर दिया है और विश्वास खत्म हो गया है।’

विपक्षी नेता ने कहा कि असम के लोग पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र गाय शुद्धता और मातृत्व की प्रतीक हैं और सत्ता में बैठे लोगों को इन्हें व्यावसायिक इस्तेमाल की वस्तु नहीं बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि गोरुखुटी परियोजना के तहत गिर गायों की खरीद, संरक्षण, वितरण और उसके बाद उनकी बिक्री या गायब होने समेत पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराएं। हम सब्सिडी वितरण और सभी संबंधित संस्थाओं के वित्तीय रिकॉर्ड की फोरेंसिक ऑडिट कराने का भी आग्रह करते हैं।’

भाषा जोहेब नरेश

नरेश

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