मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े की बहन की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक के खिलाफ दायर मानहानि और पीछा करने के मामले में जांच रिपोर्ट नहीं सौंपने पर मुंबई पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (बांद्रा) आशीष अवारी ने इस साल जनवरी में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 202 के तहत जांच का आदेश दिया था, जो किसी आरोपी के खिलाफ प्रक्रिया के मुद्दे को स्थगित करने से संबंधित है।
यह मजिस्ट्रेट को मामले की जांच करने या जांच का निर्देश देने की शक्ति देता है। अदालत ने पुलिस को जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था। हालांकि जांच एजेंसी ने अभी तक इसे दाखिल नहीं किया है।
जोगेश्वरी के अंबोली पुलिस थाने को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अधिवक्ता अली काशिफ खान देशमुख के माध्यम से दायर अपनी शिकायत में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी की बहन यास्मीन वानखेड़े ने पूर्व राज्य मंत्री मलिक पर विभिन्न ट्वीट और टेलीविजन साक्षात्कारों में उनके खिलाफ झूठे, मानहानिकारक और निंदनीय आरोप लगाने तथाा सोशल मीडिया मंच पर उनका पीछा करने का आरोप लगाया है।
शिकायत मूल रूप से 2021 में अंधेरी की अदालत में दायर की गई थी और बाद में इसे बांद्रा स्थित सांसद-विधायक अदालत में स्थानांतरित कर दी गई थी।
शिकायतकर्ता ने कहा कि समीर वानखेड़े मुंबई में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के तत्कालीन जोनल निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मादक पदार्थ गिरोह का भंडाफोड़ करने और मादक पदार्थ संबंधी विभिन्न मामलों से निपटने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसके भाई द्वारा संभाले जा रहे मामलों में से एक मामला मलिक के दिवंगत दामाद समीर खान के खिलाफ था।
शिकायत में कहा गया है, ‘‘शिकायतकर्ता के भाई द्वारा अपने दामाद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के कारण उत्पन्न व्यक्तिगत रंजिश और प्रतिशोध के कारण आरोपी (मलिक) ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे, अपमानजनक और निराधार आरोप लगाने शुरू कर दिए।’’
भाषा संतोष रंजन
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