नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक वकील के बयान पर कहा कि ‘‘हममें ईश्वर न देखें, न्याय में ईश्वर को देखें’’।
वकील ने कहा था कि वह न्यायाधीशों में भगवान देखते हैं।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने उत्तर प्रदेश के एक मंदिर से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
इस प्रकरण में उपस्थित एक वकील ने मामले से मुक्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि उनका मुवक्किल उनकी बात नहीं सुन रहा है।
वकील ने दावा किया कि उन्हें अपने मुवक्किल से एक नोटिस मिला है जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘‘वकीलों के माध्यम से न्यायाधीशों से सांठगांठ की जा रही है’’।
इसे ‘‘बहुत अपमानजनक’’ करार देकर वकील ने दुख जताते हुए कहा, ‘‘अगर हमें लगता है कि कोई बेईमानी हो रही है तो हम मामले से हट जाते हैं। हम अपने न्यायाधीशों में ईश्वर को देखते हैं।’’
हालांकि, न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा, ‘‘हममें ईश्वर को मत देखिए। कृपया न्याय में ईश्वर को देखिए।’’
पीठ ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और वकील को मामले से मुक्त कर दिया।
भाषा नेत्रपाल माधव
माधव