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Saturday, July 5, 2025

मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के बीच अधिकांश तेल-तिलहन कीमतें नरम

Newsमलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के बीच अधिकांश तेल-तिलहन कीमतें नरम

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) घरेलू तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतें गिरावट के साथ बंद हुईं। मलेशिया एक्सचेंज में नरमी के बीच आयातकों की आर्थिक तंगी के मद्देनजर सोयाबीन डीगम तेल को आयात की लागत से कम दाम पर बेचे जाने के कारण दाम में नरमी आई। बाजार सूत्रों ने शुक्रवार को यह कहा।

वहीं सुस्त कारोबार के बीच मूंगफली और बिनौला तेल के दाम अपरिवर्तित बने रहे।

शिकॉगो एक्सचेंज में आज छुट्टी है। मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे 0.75 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2025 में खरीदे गये सरसों की फसल की बिक्री के लिए निविदा मंगाई है। सरसों का यह स्टॉक बेहतर गुणवत्ता का है। सरसों का स्टॉक या तो किसानों के पास है या फिर सरकार के पास। इसके कीमत की दिशा बहुत हद तक सरकार पर निर्भर करती है।

उन्होंने कहा कि निविदा मंगाये जाने की पहल के बाद कच्ची घानी की कुछ बड़ी तेल मिलों ने सरसों खरीद के दाम करीब 100 रुपये क्विंटल तक घटाये हैं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन प्लांट वालों और आयातकों की आर्थिक हालत इतनी बिगड़ी हुई है कि आयातकों को लागत से कम दाम पर सोयाबीन डीगम बेचते पाया जा रहा है। खाद्यतेलों की जरुरतों को पूरा करने के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर इस देश में आयातकों को लागत से कम दाम पर खाद्यतेल बेचना पड़े, यह हैरत पैदा करने वाली बात है। लेकिन किसी तेल संगठन या किसी विशेषज्ञ को किसी चर्चा-परिचर्चा में इस स्थिति पर चिंता जताते नहीं पाया जाता है जो गंभीर चिंता पैदा करने वाली बात है।

उन्होंने कहा कि इन आयातकों को होने वाला नुकसान अंतत: बैंकों का और उससे भी आगे आम जनता का नुकसान है। इस बारे में गंभीर होने की आवश्यकता है।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज की गिरावट की वजह से पाम-पामोलीन तेल में गिरावट आई। इससे भी अलग तथ्य यह भी है कि जब बाजार में सोयाबीन खपने की दिक्कत हो रही है तो उसी के आसपास दाम वाले पाम-पामोलीन कहां से खपेगा? यह भी इन तेलों की कीमतों में गिरावट का एक कारण है।

उन्होंने कहा कि कमजोर मांग और सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम स्थिर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि थोक में बेचने वाली सरसों की छोटी मिलों को पेराई करने में पांच-छह रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है। वहीं कच्ची घानी की बड़ी तेल मिलें अपना माल खुदरा में ऊंचे दाम पर बेचती हैं जिन्हें कोई नुकसान नहीं है।

उन्होंने कहा कि दूध और पेट्रोल लीटर में खरीदा जाता है और लीटर में ही बेचा जाता है पर खाद्यतेल का आयात किलो के हिसाब से होता है और खुदरा में लीटर में बेचा जाता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को अपने जेब कटने का अहसास भी नहीं होता।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,950-7,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,600-5,975 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,190-2,490 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,925 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,570-2,670 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,570-2,705 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,375-4,425 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,075-4,175 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

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