नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) ओलंपिक खेलों की मेजबानी की महत्वाकांक्षी योजना के कारण भारत सरकार के लिए व्यापक जन आक्रोश के बावजूद पड़ोसी पाकिस्तान के खिलाफ उसके खिलाड़ियों को यहां बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए रोकने का विकल्प महंगा पड़ सकता था।
इसके परिणामस्वरूप देश को भविष्य में बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी से वंचित किया जा सकता था।
सरकार ने बृहस्पतिवार को हॉकी के एशिया कप (अगस्त) और जूनियर विश्व कप (नवंबर-दिसंबर), जूनियर निशानेबाजी विश्व कप (सितंबर) और विश्व पैरा-एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (अक्टूबर) में पाकिस्तानी भागीदारी के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
पहलगाम में आतंकवादियों के हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बावजूद पाकिस्तान के खिलाड़ियों या टीम को वैश्विक टूर्नामेंटों में भारत में खेलने से रोकना ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन होता जो ओलंपिक आंदोलन के लिए एक संविधान की तरह है।
चार्टर का नियम 44 विशेष रूप से राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों को ‘नस्लीय, धार्मिक या राजनीतिक कारणों’ के आधार पर एथलीटों को बाहर करने से प्रतिबंधित करता है।
भारत को इसका खामियाजा छह साल पहले भुगतना पड़ा था जब पाकिस्तानी निशानेबाजों को आईएसएसएाफ निशानेबाजी विश्व कप में भाग लेने के लिए वीजा देने से मना कर दिया गया था। यह ओलंपिक क्वालीफाइंग स्पर्धा थी।
भारत के इस कदम से नाराज आईओसी ने देश से भविष्य की सभी प्रतियोगिताओं की मेजबानी के अधिकारों पर चर्चा रोक दी। उसने इसके साथ ही 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता का ओलंपिक क्वालीफाइंग दर्जा भी रद्द कर दिया। इस स्पर्धा की सूची में पाकिस्तान के निशानेबाजों का भी नाम था।
भारत ने उस समय यह कदम पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के विरोध में उठाया था। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ग्रुप के उस हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गये थे।
भारत के साथ भविष्य के टूर्नामेंट पर बातचीत तभी फिर से शुरू हुई उसने लिखित गारंटी दी कि आगे ऐसी कोई भेदभाव नहीं होगा।
आईओसी ने अंतरराष्ट्रीय महासंघों को सिफारिश की थी कि ‘गारंटी प्राप्त होने तक भारत को टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं दी जानी चाहिये’।
उससे एक साल पहले भारत ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कोसोवो के मुक्केबाजों को वीजा देने से इनकार कर दिया था।
भारत अहमदाबाद में 2036 ओलंपिक की मेजबानी की अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाड़ियों को रोकने के किसी भी कदम से इसकी संभावनाओं को गंभीर रूप से नुकसान होता।
मंत्रालय के सूत्र ने बृहस्पतिवार को सरकार के फैसले के पीछे के कारणों को समझाते हुए कहा था, ‘‘यह एक सामान्य स्थिति नहीं है। आप अगर खुद को वैश्विक टूर्नामेंट की मेजबानी करने में सक्षम राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो आप किसी भी देश के खिलाड़ियों को आने से नहीं रोक सकते। द्विपक्षीय प्रतियोगिता इससे अलग है और हम द्विपक्षीय टूर्नामेंट में पाकिस्तान से खेलने से बच सकते हैं।’’
भाषा आनन्द नमिता
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