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Saturday, July 5, 2025

नेशनल हेराल्ड: सोनिया गांधी ने अदालत में ईडी के मामले को ‘बहुत ही अजीब’ बताया

Newsनेशनल हेराल्ड: सोनिया गांधी ने अदालत में ईडी के मामले को ‘बहुत ही अजीब’ बताया

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नेशनल हेराल्ड मामला ‘‘वास्तव में अजीब’’ है।

ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू द्वारा तीन जुलाई को मामले में दायर आरोपपत्र के संज्ञान के बिंदु पर अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आज अपनी बात शुरू की।

सिंघवी ने कहा, ‘‘यह वास्तव में एक अजीब मामला है। अजीब से भी अधिक। अभूतपूर्व। यह बिना किसी संपत्ति, बिना किसी उपयोग या संपत्ति प्रयोजन के, धनशोधन का एक कथित मामला है। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से यंग इंडियन को एक इंच भी संपत्ति नहीं मिली। किसी भी कांग्रेस नेता को कोई संपत्ति या पैसा नहीं मिला। फिर भी इसे धनशोधन कहा जाता है।’’

ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के अलावा सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और निजी कंपनी यंग इंडियन पर नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों के धोखाधड़ी से अधिग्रहण को लेकर साजिश और धनशोधन का आरोप लगाया है।

प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन के 76 प्रतिशत शेयर थे, जिसने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले में धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्ति हड़प ली।

हालांकि, सिंघवी ने कहा कि यह कवायद एजेएल को कर्ज मुक्त बनाने के लिए की गई थी।

सिंघवी ने कहा, ‘‘हर कंपनी को कानून के तहत यह अधिकार प्राप्त है और वह हर दिन विभिन्न प्रकार के साधनों के माध्यम से अपनी कंपनी को मुक्त करती है। इसलिए आप कर्ज लेकर उसे किसी अन्य इकाई को सौंप देते हैं। इस प्रकार यह कंपनी कर्ज मुक्त हो जाती है।’’

उन्होंने कहा कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि यह लाभांश नहीं दे सकती, यह भत्ते नहीं दे सकती, यह वेतन नहीं दे सकती, यह बोनस नहीं दे सकती। यह कुछ भी नहीं दे सकती।’’

उन्होंने कहा कि एजेएल के शेयरों में पैसा लगाने के बाद यंग इंडियन को केवल लाभांश पर अधिकार मिला तथा एजेएल की संपत्तियों पर कोई ब्याज नहीं बनाया गया।

सिंघवी ने पूछा, ‘‘गांधी परिवार और यंग इंडियन को एजेएल का छद्म रूप कैसे माना जा सकता है?’’

उन्होंने कहा कि ईडी ने कई वर्षों तक कुछ नहीं किया और इसके बजाय एक निजी शिकायत पर कार्रवाई की।

सिंघवी ने कहा कि ईडी ने सोनिया गांधी के खिलाफ ‘‘एक क्रूर कृत्य का आपराधिक संज्ञान’’ मांगा है।

उन्होंने कहा, ‘‘2010 में एजेएल के पुनर्गठन और 2021 में प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) के पंजीकरण के बीच 11 साल का अंतर है। इससे बड़ा अंतराल नहीं हो सकता। निजी शिकायत (सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर) और ईसीआईआर में भी आठ साल का अंतर है।’’

सिंघवी ने कहा, ‘‘ईडी ने इन वर्षों में ऐसा कभी नहीं किया। इतने वर्षों बाद एक निजी शिकायत को उठाया और अदालत से संज्ञान लेने का अनुरोध किया।’’

इसके बाद न्यायाधीश ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी को ऋण माफ करने का अधिकार था।

सिंघवी ने कहा, ‘‘कानून में कोई सामान्य प्रतिबंध नहीं है जो किसी व्यक्ति को ऋण वसूली से रोकता हो। कानून ऋण को अपने अधीन लेकर गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को समाप्त करने को प्रोत्साहित करता है। मान लीजिए कि एजेएल का ऋण टाटा या बिरला ने लिया था, तो क्या टाटा और बिरला पर धनशोधन का आरोप लगाया जाएगा?’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह तो पूरी अवधारणा ही ध्वस्त हो जाएगी। उन्हें क्या पागलपन का दौरा पड़ा है जो उन्होंने एक गैर-लाभकारी कंपनी के साथ मिलकर धनशोधन किया। ऐसा तब होता है जब राजनीति सबसे ऊपर हो जाती है और कानून सबसे पीछे।’’

कार्यवाही पांच जुलाई को राहुल गांधी की ओर से खंडन के साथ जारी रहेगी।

तीन जुलाई को राजू ने आरोपपत्र के संज्ञान के बिंदु पर तर्क देते हुए कहा कि गांधी परिवार यंग इंडियन का ‘‘लाभकारी मालिक’’ है और अन्य शेयरधारकों की मृत्यु के बाद उसने इसका पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया।

ईडी ने गांधी परिवार और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 (धनशोधन) और 4 (धनशोधन के लिए सजा) के तहत आरोपपत्र दायर किया।

आरोपपत्र में दुबे, पित्रोदा, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड का भी नाम है।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

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