(केजेएम वर्मा)
बीजिंग, चार जुलाई (भाषा) चीन-भारत कूटनीति का अतीत में हिस्सा रहे भारतीय आमों ने इस गर्मी में चीन में वापसी की है। फलों के राजा को आकर्षक चीनी बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए कूटनीतिक प्रोत्साहन भी मिल रहा है।
भारत के विभिन्न राज्यों से ‘सिंधूरा’, ‘बंगनापल्ली’, ‘अल्फांसो’, ‘हिमसागर’, ‘दशहरी’, ‘लंगड़ा’ और ‘चौसा’ जैसी भारतीय आमों की प्रसिद्ध किस्में शुक्रवार को गुआंगझोउ में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित आम महोत्सव में आकर्षण का केंद्र रहीं।
भारतीय आमों के निर्यात में अग्रणी भूमिका ‘सुपरप्लम’ नामक एक लोकप्रिय भारतीय कृषि प्रौद्योगिकी उद्यम द्वारा निभाई जा रही है, जो उच्च गुणवत्ता वाले फलों के निर्यात में विशेषज्ञता रखता है।
भारतीय आमों का विपणन चीन में लोकप्रिय एईओएन रिटेल स्टोर द्वारा किया जा रहा है।
आम महोत्सव की शुरुआत करते हुए महावाणिज्य दूत शंभू हक्की ने दक्षिण चीन के प्रांतों में उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय कृषि उत्पादों की बाजार संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
भारतीय मिशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि उन्होंने वाणिज्य दूतावास द्वारा भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहल के बारे में भी विस्तार से बताया। इसमें वाणिज्य दूतावास में भारतीय उत्पादों के लिए एक समर्पित प्रदर्शनी भी शामिल है।
भारतीय आमों ने चीन-भारत कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में चीन को आम के पौधे उपहार स्वरूप दिए थे, जहां उस समय लोग इस फल से अनजान थे।
बाद में 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बीजिंग यात्रा के दौरान चीन को भारत के आम निर्यात करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
हाल के वर्षों में चीन ने देश के दक्षिणी भाग में आम की उपज का विस्तार किया है।
भाषा नोमान पवनेश
पवनेश