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Saturday, July 5, 2025

बंगाल में किसी भी ‘बेदाग’ शिक्षक ने एसएससी की दोबारा परीक्षा के लिए आवेदन नहीं किया : प्रदर्शनकारी

Newsबंगाल में किसी भी ‘बेदाग’ शिक्षक ने एसएससी की दोबारा परीक्षा के लिए आवेदन नहीं किया : प्रदर्शनकारी

कोलकाता, चार जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा संघ द्वारा ‘बेदाग’ करार दिये गये और उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद अंतरिम रूप से विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षकों के एक संगठन ने शुक्रवार को बताया कि उसके किसी भी सदस्य ने नये सिरे से हो रही भर्ती परीक्षा के लिये आवेदन नहीं किया है।

डिजर्विंग टीचर्स राइट फोरम के प्रवक्ता चिन्मय मंडल ने बताया कि संगठन के 15403 शिक्षकों में से किसी ने भी 30 मई को जारी अधिसूचना के तहत नये सिरे से भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन नहीं किया है।

पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा संघ ने जिला निरिक्षकों के कार्यालयों को सूची भेजी थी, जिसमें इन 15,403 शिक्षकों को दागी घोषित नहीं किया गया था।

नई भर्ती के लिए लिखित परीक्षा सितंबर के पहले सप्ताह में निर्धारित की गई है।

उन्होंने बताया, “हम 2016 में एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने और इन वर्षों में अपने-अपने कार्यस्थलों पर काम करने के बाद फिर से कोई परीक्षा नहीं देंगे।”

शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को पश्चिम बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था और 2016 में एसएससी की पूरी चयन प्रक्रिया को ‘दागी’ बताया था।

अदालत ने राज्य सरकार को 31 मई तक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने का निर्देश दिया था।

‘डिजर्विंग टीचर्स राइट फोरम’ के एक अन्य पदाधिकारी महबूब मंडल ने कहा, “आवेदकों की संख्या के बारे में हमें कुछ नहीं कहना। हम बस इतना कह सकते हैं कि जो लोग 2016 की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे, वे उन अभ्यर्थियों के साथ नहीं बैठ सकते हैं, जिन्होंने स्नातक, परास्नातक किया है और अब शिक्षक बनने की आकांक्षा रखते हैं।”

चिन्मय मंडल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 2016 की पूरी भर्ती प्रक्रिया को ‘दागी’ घोषित किए जाने के बाद, आयोग और शिक्षा विभाग को इतनी जल्दबाजी में यह प्रक्रिया नहीं अपनानी चाहिए थी।

उन्होंने कहा, “चूंकि मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित है और इस महीने के अंत तक नये दौर की सुनवाई निर्धारित है, इसलिए राज्य कानूनी विशेषज्ञों के परामर्श से भर्ती अभियान को टाल सकता था और पात्र शिक्षकों की सत्यापन योग्य सूची तैयार कर सकता था या वे ओएमआर शीट को सार्वजनिक कर सकते थे।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन

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