नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई अर्थव्यवस्थाओं में राजकोषीय बाधाओं और भू-राजनीतिक गतिशीलता से उत्पन्न अनिश्चितताओं से निपटने के लिए ‘वैश्विक दक्षिण’ द्वारा निर्णायक सामूहिक कार्रवाई की जरूरत बतायी।
उन्होंने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ‘नव विकास बैंक’ (एनडीबी) के संचालक मंडल के वार्षिक बैठक में ‘विकास को प्रोत्साहन: वैश्विक दक्षिण के लिए बहुपक्षीय विकास बैंक के माध्यम से नवाचार, सहयोग और प्रभाव को बढ़ावा’ विषय पर अपने संबोधन में यह बात कही।
सीतारमण ने कहा कि यह बैठक वैश्विक दक्षिण के लिए एक निर्णायक क्षण में हो रही है, क्योंकि दुनिया कई अर्थव्यवस्थाओं में राजकोषीय बाधाओं, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों और विकसित भू-राजनीतिक गतिशीलता से उत्पन्न कई अनिश्चितताओं से जूझ रही है।
उन्होंने कहा, “इन चुनौतियों के जवाब में, हमारी सामूहिक कार्रवाई निर्णायक, समावेशी और दूरदर्शी होनी चाहिए।”
नव विकास बैंक (एनडीबी) की स्थापना ब्रिक्स देशों के समूह ने की है।
उन्होंने कहा कि एमडीबी इन अनिश्चितताओं से निपटने में हमारे प्रयासों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सीतारमण ने कहा, “एमडीबी के पास तकनीकी विशेषज्ञता, रियायती वित्तपोषण और जोखिम से निपटने के प्रभावी उपायों के जरिये सार्वजनिक और निजी, दोनों निवेशों को गति देने की क्षमता है। इससे हमारे पास नीति विकल्प बढ़ जाते हैं।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि इस संदर्भ में एनडीबी एक प्रमुख साझेदार के रूप में उभरा है। यह विकास वित्त को दिशा दे रहा है, मजबूत बुनियादी ढांचे का समर्थन कर रहा है और व्यावहारिक और उत्तरदायी दृष्टिकोण के माध्यम से वैश्विक दक्षिण में सार्थक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने कहा, “भारत ‘वैश्विक दक्षिण’ के समावेशी, पर्यावरण अनुकूल और नवोन्मेष आधारित विकास के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।”
सीतारमण ने कहा कि भारत के प्रयासों से अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वैश्विक दक्षिण उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड-महामारी के बाद के युग में उल्लेखनीय वृद्धि और मजबूती दिखाई है।
भाषा अनुराग रमण प्रेम
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