नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में पुरानी कारों पर लगी बंदिशों के बीच इनकी कीमतों में हाल के दिनों में भारी गिरावट देखने को मिली है। उद्योग संगठन सीटीआई ने शुक्रवार को कहा कि इन वाहनों की कीमतों में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में पुराने वाहनों का बाजार इन बंदिशों की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पुराने वाहनों पर फैसला बदलने से करीब 60 लाख वाहन प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने इन वाहनों की कीमतों में गिरावट के लिए निर्धारित समय (ईओएल) पूरा कर चुके वाहनों से संबंधित प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया।
दिल्ली में पेट्रोल वाहनों के लिए 15 साल और डीजल वाहनों के लिए तय की गई है। दिल्ली सरकार ने अदालत के आदेश के बाद इन पुराने वाहनों को ईंधन देने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इन वाहनों को दिल्ली में एक जुलाई से सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है। हालांकि इन प्रावधानों का व्यापक विरोध होने पर दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया।
इन पाबंदियों के कारण पुराने वाहनों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खुद एक वाहन कारोबारी गोयल ने दावा किया कि व्यापारियों को काफी कम कीमतों पर ये कारें बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “पिछले पांच दिन में पुरानी कारों की कीमतों में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। दिल्ली में वाहन कारोबारी अब अपनी गाड़ियां एक चौथाई कीमत पर भी बेचने को मजबूर हैं।”
उन्होंने बताया कि दिल्ली से पुरानी कारें आमतौर पर पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में बेची जाती हैं। हालांकि, बाहरी राज्यों से मांग के साथ आक्रामक सौदेबाजी भी हो रही है।
गोयल ने कहा, “लक्जरी पुरानी कारें पहले छह से सात लाख रुपये में बिकती थीं लेकिन अब मुश्किल से चार से पांच लाख रुपये में बिक रही हैं। दूसरे राज्यों के खरीदार दिल्ली के व्यापारियों के सामने आने वाली चुनौतियों से वाकिफ हैं और उसी के हिसाब से मोल-भाव कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा और मोती नगर जैसे इलाकों में 1,000 से अधिक व्यापारी पुराने वाहनों के कारोबार से जुड़े हुए हैं।
कार डीलरों ने परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में कठिनाइयों पर भी चिंता जताई है, जो पुराने वाहनों को अन्य राज्यों में बेचने के लिए जरूरी है।
पहले यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत आसान थी, लेकिन अब व्यापारियों का कहना है कि उन्हें देरी और जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है।
भाषा अनुराग रमण प्रेम
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