नैनीताल, चार जुलाई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हत्या के एक मामले में दो जांच अधिकारियों की ओर से एक-दूसरे की विरोधाभासी रिपोर्ट पेश किए जाने को लेकर नाराजगी जताई।
मामले में एक अधिकारी ने आरोपी को दोषमुक्त करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल की, जबकि दूसरे ने उसे आरोपी बताते हुए आरोप पत्र दाखिल किया था।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए कहा।
मामला हरिद्वार जिले के मंगलौर थाना क्षेत्र में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच हुई झड़प से जुड़ा है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे।
आरोपी ने रिहाई का अनुरोध करते हुए जमानत याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान दोनों जांच अधिकारी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए। राज्य सरकार की ओर से पेश वीडियो क्लिप देखने के बाद अदालत ने कहा कि दोनों प्राथमिकियों में एक ही आरोप पत्र दाखिल किया जाना था।
हालांकि, एक प्राथमिकी के संबंध में एक आरोप पत्र दाखिल किया गया था जबकि दूसरी प्राथमिकी के संबंध में जांच अधिकारी ने एक अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जबकि दोनों प्राथमिकियां एक ही आपराधिक घटना से संबंधित थीं।
अदालत ने कहा कि एक ही मामले के लिए दो अलग-अलग अधिकारियों की नियुक्ति के कारण विरोधाभासी जांच निष्कर्ष सामने आए।
अदालत ने कहा कि अगर एक ही जांच अधिकारी को जिम्मा सौंपा जाता तो एक सटीक रिपोर्ट की उम्मीद की जा सकती थी।
अदालत ने कहा कि विरोधाभासी रिपोर्टों से स्पष्ट होता है कि जांच अनुचित तरीके से की गई।
भाषा जोहेब सुभाष
सुभाष