नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने शनिवार को दलील दी कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति बेचने की कोशिश नहीं कर रही है, बल्कि उस संस्था को बचाने का प्रयास कर रही है, जो स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थी।
चीमा ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष अपनी दलील पेश की।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस, साथ ही सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और एक निजी कंपनी यंग इंडियन पर, नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों के धोखाधड़ी से अधिग्रहण करने की साजिश और धन शोधन करने का आरोप लगाया है।
चीमा ने सवाल किया, ‘‘क्या मेरे मित्र (ईडी के वकील) मुझे बता सकते हैं कि वे एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) को रखने में क्यों झिझक रहे थे? एजेएल की स्थापना 1937 में जवाहरलाल नेहरू, जे. बी. कृपलानी, रफी अहमद किदवई और अन्य लोगों द्वारा की गई थी।
मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत किसी कंपनी के गठन के लिए आवश्यक है।
चीमा ने कहा, ‘‘एजेएल के सहमति पत्र में कहा गया था कि एजेएल की नीति कांग्रेस की नीति होगी। एजेएल को कभी मुनाफा नहीं हुआ। आजादी के बाद की अवधि में यह कभी भी व्यावसायिक संस्था नहीं रही।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) एक ऐसी संस्था को पुनः सक्रिय करने का प्रयास कर रहे थे जो स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत का हिस्सा है। समस्या एजेएल को दिए गए ऋण की वसूली नहीं थी; समस्या इसे पुन: सक्रिय करने की थी, यह सुनिश्चित करने की थी कि यह फिर से पटरी पर आ जाए। एआईसीसी बिक्री में लाभ नहीं देख रही थी। यह एक संक्षिप्त संस्करण है।’’
ईडी का आरोप है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन में 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जिसने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले में धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्ति ‘हड़प’ ली।
इससे पहले शुक्रवार को सोनिया गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पूरी कीं थी।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू द्वारा तीन जुलाई को मामले में दायर आरोपपत्र के संज्ञान के बिंदु पर अपनी दलीलें देते हुए कहा कि गांधी परिवार यंग इंडियन के ‘लाभ प्राप्त करने वाले मालिक’ हैं और अन्य शेयरधारकों की मृत्यु के बाद उन्होंने पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया है।
ईडी ने गांधी परिवार और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 (धन शोधन) और 4 (धन शोधन के लिए सजा) के तहत आरोप पत्र दायर किया।
ईडी के आरोपपत्र में दुबे, पित्रोदा, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नामजद किया गया है।
भाषा धीरज रंजन
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