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Saturday, July 5, 2025

अपनी राजनीतिक तकदीर संवारने की हताश कोशिश, पारिवारिक मेल-मिलाप : भाजपा ने संयुक्त रैली पर कहा

Newsअपनी राजनीतिक तकदीर संवारने की हताश कोशिश, पारिवारिक मेल-मिलाप : भाजपा ने संयुक्त रैली पर कहा

(फोटो के साथ)

मुंबई, पांच जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने शनिवार को उद्धव और राज ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा कि मुंबई में उनकी संयुक्त रैली उनके राजनीतिक भाग्य को फिर से संवारने और निकाय चुनावों से पहले खो चुके आधार को वापस पाने की एक ‘हताश कोशिश’ है तथा यह आयोजन ‘पारिवारिक मेल-मिलाप’ जैसा था।

उद्धव और राज ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों में पहली से तीसरी कक्षा में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी शुरू करने के दो सरकारी प्रस्तावों (जीआर) को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए शनिवार को यहां वर्ली में ‘आवाज मराठीचा’ नामक एक विजय सभा में मंच साझा किया।

रैली में शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ने कहा कि वह और उनके चचेरे भाई राज महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष एकजुट रहने के लिए साथ आए हैं । उन्होंने आगामी निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ने का संकेत दिया।

राज ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दोनों चचेरे भाइयों को साथ लाकर वह कर दिखाया जो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे और अन्य नहीं कर पाए।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आशीष शेलार और भाजपा विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर ने इस आयोजन को लेकर ठाकरे भाइयों पर निशाना साधा।

शेलार ने वर्ली के आयोजन को शिवसेना (उबाठा) द्वारा अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने का एक हताश प्रयास बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भाषा के प्रति प्रेम के लिए रैली नहीं थी, बल्कि घर से निकाले गए भाई का सार्वजनिक तुष्टिकरण था। निकाय चुनाव में भाजपा की ताकत के डर से उन्हें अपना भाईचारा याद आ गया।’’

उन्होंने कहा कि ठाकरे बंधु मुंबई में फिर अपना कुशासन लाने के लिए बीएमसी पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

शेलार ने कहा कि यह कार्यक्रम भाषा के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन से ज्यादा एक पारिवारिक मेल-मिलाप था। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे का राज ठाकरे से हाथ मिलाना सिर्फ उस राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए था जिसे वे पहले ही खो चुके हैं।

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने उद्धव ठाकरे पर मराठी भाषा पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

बावनकुले ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,‘‘मराठी भाषा की वकालत की आड़ में उद्धव ठाकरे ने आज वर्ली में सत्ता खोने का दुख जताया। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि 2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने पहली कक्षा से अनिवार्य हिंदी की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को क्यों स्वीकार किया।’’

वरिष्ठ भाजपा नेता ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का असली एजेंडा मराठी के लिए ‘एम’ नहीं, बल्कि नगर निगम के लिए ‘एम’ था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब वह मुंबई में सत्ता में थे, तो उन्होंने मराठी भाषी लोगों को दरकिनार कर दिया। अब वह सत्ता हासिल करने के लिए मराठी प्रेम का दिखावा कर रहे हैं। मराठी के प्रति उनका प्रेम एक राजनीतिक नाटक है, जो चुनाव आने पर ही सामने आता है। लोगों ने अब उनके दोहरे चरित्र को समझ लिया है।’’

दरेकर ने दावा किया कि रैली स्पष्ट राजनीतिक इरादे से प्रेरित थी।

उन्होंने कहा, ‘‘राज ठाकरे ने मुख्य रूप से मराठी भाषा के मुद्दे पर बात की और पहले के आरोपों से खुद का बचाव किया, लेकिन उद्धव ठाकरे का लहजा बेबसी का था। सत्ता खोने का उनका अफसोस साफ झलक रहा था।’’

उन्होंने कहा कि मराठी लोग नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के प्रति अपना समर्थन पहले ही दिखा चुके हैं।

दरेकर ने कहा, ‘‘क्या पाकिस्तानियों ने हमें वोट दिया?…यह मराठी मतदाता ही थे जिन्होंने महायुति को भारी जनादेश दिया। मुंबई में भी भाजपा, शिवसेना और राकांपा की सना मलिक मराठी लोगों के समर्थन से जीतीं।’’

उन्होंने कहा कि मंच पर पार्टी के झंडे और विशेष आमंत्रणों को लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिससे साबित होता है कि यह कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक कार्यक्रम था।

मुख्यमंत्री फडणवीस के खिलाफ टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, दरेकर ने कहा कि इसी तरह के बयान पहले राकांपा (एसपी) द्वारा दिए गए थे और संभवतः यह शरद पवार से उद्धव ठाकरे से समीपता के कारण पड़े प्रभाव की वजह से है।

भाजपा विधायक ने कहा, ‘‘फिर भी, उद्धव फडणवीस पर हमला कर रहे हैं, जो उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है। लोग उन्हीं पेड़ों पर पत्थर फेंकते हैं जो फल देते हैं।’’

राज ठाकरे की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कि देवेंद्र फडणवीस ने वह हासिल किया जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, दरेकर ने कहा कि इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए।

उन्होंने जानना चाहा कि ठाकरे के सत्ता में रहने के दौरान कितने मराठी बिल्डरों को लाभ हुआ।

दरेकर ने मराठी भाषा को बढ़ावा देने के भाजपा के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘यह फडणवीस ही थे जिन्होंने लगातार केंद्र और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क किया एवं मोदी ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। इसे नहीं भूला जाना चाहिए।’’

उद्धव के इस आरोप पर कि भाजपा अपने सहयोगियों का इस्तेमाल करने के बाद उन्हें छोड़ देती है, दरेकर ने कहा कि यह शिवसेना (उबाठा) प्रमुख ही थे जिन्होंने अपने नेताओं को छोड़ दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने (अविभाजित) शिवसेना को बीएमसी में अपना महापौर बनाने दिया, जबकि भाजपा के पास सिर्फ कुछ सीटें कम थीं। लेकिन यह उद्धव ठाकरे ही थे जिन्होंने नारायण राणे, छगन भुजबल, रामदास कदम, गणेश नाइक और यहां तक ​​कि राज ठाकरे जैसे शिवसेना नेताओं के साथ इस्तेमाल करो और फेंको की नीति अपनाई।’’

राज के साथ उद्धव की नई साझेदारी पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के विधानपरिषद सदस्य ने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक जरूरतों से प्रेरित था।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (उद्धव ने) पार्टी में राज को कभी महत्व नहीं दिया। लेकिन अब अपनी स्थिति बचाने के लिए वह उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं।’’

विरोध करने के अधिकार को स्वीकार करते हुए, दरेकर ने चेतावनी दी कि लेकिन इस तरह के आंदोलनों से विभाजन नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा,‘‘विरोध की आड़ में अगर भाषा, जाति या धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करने की कोशिश की जाती है, तो इससे बचना चाहिए।’’

हालांकि, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुगंटीवार का स्वर नरमी वाला थ।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आ रहे हैं तो यह अच्छी बात है। उन्हें हमारी शुभकामनाएं हैं। दोनों भाइयों को एकजुट होना चाहिए और एकजुट रहना चाहिए। अगर जरूरी हो तो दोनों पार्टियों को विलय पर भी विचार करना चाहिए।’’

भाषा राजकुमार माधव

माधव

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