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Saturday, July 5, 2025

ठाकरे बंधुओं की रैली ‘हिंदू विरोधी’ और जिहादी सोच से प्रेरित : नितेश राणे

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मुंबई, पांच जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने मुंबई में ठाकरे बंधुओं (उद्धव और राज) की संयुक्त रैली को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधते हुए इस रैली को ‘हिंदू विरोधी’ और जिहादी सोच से प्रेरित करार दिया।

राणे ने आरोप लगाया कि उद्धव और राज की इस संयुक्त रैली का उद्देश्य समाज को बांटना और राज्य को कमजोर करना है।

दो दशक के बाद उद्धव और राज ने शनिवार को सार्वजनिक मंच साझा किया और ‘आवाज मराठीचा’ नामक विजय सभा का आयोजन किया जिसका उद्देश्य राज्य के स्कूलों में कक्षा एक से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने संबंधी सरकार द्वारा पहले जारी किए गए दो सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाना था।

राणे ने इस रैली से एक दिन पहले शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम हिंदू हैं और मराठी होने पर गर्व करते हैं। जिस तरह से जिहादी हमारे समाज को बांटने की कोशिश करते हैं, ये लोग भी वैसा ही कर रहे हैं। चाहे वह हिंदू राष्ट्र के विचार के खिलाफ काम करने वाले (प्रतिबंधित) पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) हो या स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी), ये दोनों (उद्धव और राज ठाकरे) कोई अलग नहीं हैं। ये लोग महाराष्ट्र को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राणे ने ठाकरे बंधुओं की संयुक्त रैली पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वर्ली की सभा का उद्देश्य हिंदुओं और मराठी लोगों को बांटना है। इसकी तुलना ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), पीएफआई या सिमी की रैलियों से की जा सकती है। इससे राज्य में हिंदुओं को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। रैली के बाद नल बाजार (मुंबई का एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र) में मिठाई बांटी जाएगी और पटाखे फोड़े जाएंगे।’’

राज्य के मत्स्य पालन एवं बंदरगाह विकास मंत्री ने आरोप लगाया कि यह हिंदू विरोधी रैली है।

नितेश राणे उद्धव ठाकरे के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के पुत्र हैं।

हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ठाकरे बंधुओं की रैली को लेकर अलग विचार व्यक्त किए।

मुनगंटीवार ने कहा, ‘‘अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आ रहे हैं तो यह अच्छी बात है। उन्हें हमारी शुभकामनाएं हैं। दोनों भाइयों को एक होना चाहिए और एक रहना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दोनों पक्षों को विलय पर भी विचार करना चाहिए।’’

भाषा रवि कांत रवि कांत रंजन

रंजन

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