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Saturday, July 5, 2025

हिमाचल में चारों राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं 2028 तक पूरी हो जाएंगी : नड्डा

Newsहिमाचल में चारों राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं 2028 तक पूरी हो जाएंगी : नड्डा

शिमला, पांच जुलाई (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने शनिवार को बिलासपुर में कहा कि हिमाचल प्रदेश में चार में से तीन राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कार्य उन्नत चरण में है और इसके प्रमुख कार्य अगले दो वर्षों में पूरे हो जाएंगे।

राज्य में करीब 2,593 किलोमीटर लंबे चार राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण लगभग 38,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है।

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए नड्डा ने केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन का उपयोग नहीं करने के लिए राज्य सरकार पर भी निशाना साधा।

उन्होंने कहा, ‘‘तीन राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण का कार्य उन्नत चरण में है और प्रमुख कार्य वर्ष 2026 और वर्ष 2027 में पूरे हो जाएंगे, जबकि जिस परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है, वह वर्ष 2028 में पूरी हो जाएगी।’’

उन्होंने कहा कि शिमला-मटोर राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़कर, जिसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और जिसे वर्ष 2028 में पूरा करने की योजना है, परवाणू-शिमला, कीरतपुर-मनाली और पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग वर्ष 2026 और वर्ष 2027 में पूरे हो जाएंगे।

नड्डा ने राज्य सरकार द्वारा सड़कों के निर्माण को उद्योगों के समान मानने, हर साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) अनिवार्य करने का मुद्दा उठाया, जिससे काम में देरी होती है और तर्क दिया कि क्रशर लगाना और मेटलिंग के लिए लकड़ी का कोयला जलाना अस्थायी है और काम पूरा होने के बाद बंद हो जाता है।

नड्डा ने कहा, ‘‘केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहले ही राज्य सरकार के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं और मैं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ भी इस मामले को उठाऊंगा।’’ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर ब्यास नदी की ‘ड्रेजिंग’ नहीं की गई, जो राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, तो एनएचएआई द्वारा बनाए गए राजमार्गों को भारी नुकसान होगा।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को कहा था कि बड़ी कंपनियों को अक्सर केवल उनकी मशीनरी के आधार पर ठेके दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें राज्य के नाजुक पहाड़ी इलाकों की समझ नहीं होती।

नतीजतन, वे अपनी सुविधा के अनुसार पहाड़ की कटाई करते हैं, जिससे नुकसान होता है। उन्होंने एनएचएआई को क्षेत्र से परिचित स्थानीय ठेकेदारों को ऐसे ठेके देने पर विचार करने की सलाह दी थी।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

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