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Sunday, July 6, 2025

बदायूं: ‘नीलकंठ महादेव बनाम शम्सी जामा मस्जिद’ मामले में 17 जुलाई को अगली सुनवाई

Newsबदायूं: ‘नीलकंठ महादेव बनाम शम्सी जामा मस्जिद’ मामले में 17 जुलाई को अगली सुनवाई

बदायूं (उप्र), पांच जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले की एक अदालत ने ‘नीलकंठ महादेव बनाम शम्सी जामा मस्जिद’ मामले में सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है। एक अधिवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अधिवक्ता ने कहा कि ‘नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम शम्सी जामा मस्जिद’ के मुकदमे में शनिवार को दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) सुमन तिवारी ने पत्रावली का अवलोकन किया और शमसी जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी का पक्ष सुना।

नीलकंठ महादेव मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विवेक कुमार रेंडर ने बताया कि सुमन तिवारी की अदालत के समक्ष शम्सी जामा मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम ने अपना पक्ष रखा और अदालत से उच्चतम न्यायालय के आदेशों का संज्ञान लेने का आग्रह किया, जिसमें निर्देशित किया गया है कि जनपद-स्तरीय निचली अदालतों को इस तरह के मामलों को सुनने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने बताया कि शमसी जमा मस्जिद के अधिवक्ता की दलील सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने मामले में निर्णय के लिए 17 जुलाई की तारीख नियत की है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि मामला आगे सुनने योग्य है अथवा नहीं।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है कि जो मुकदमे पूर्व में चल रहे हैं उनमें सुनवाई नहीं होगी।

शमसी जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम ने बताया कि नीलकंठ मन्दिर बनाम इंतजामिया कमेटी मुकदमे में आज तारीख थी और हमने इंतजामिया कमेटी की तरफ से एक दरखास्त दी कि उन मामलों में, जिनमें 1991 का अधिनियम लागू है, उच्चतम न्यायालय ने देशभर की अदालतों के लिए यह आदेश जारी किया है कि ऐसे मामलों में कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991, भारत में धार्मिक स्थलों की स्थिति को संरक्षित करने के लिए बनाया गया था। यह अधिनियम 18 सितंबर, 1991 को पारित हुआ था और इसमें 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों के स्वरूप को अपरिवर्तित रखने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी तरफ से उच्चतम न्यायालय के आदेश की कॉपी पहले से लगी हुई है और हमने अदालत से ‘शीर्ष अदालत’ के आदेश के अनुपालन का अनुरोध किया है।

उल्लेखनीय है कि पिछली कई तारीखों में अदालत द्वारा बार-बार बुलाए जाने के बावजूद इंतजामिया कमेटी पक्ष के अधिवक्ता के पेश न होने की वजह से जिले की त्वरित अदालत के न्यायाधीश अमित कुमार ने मुस्लिम पक्ष को अंतिम अवसर देते हुए मामले मैं सुनवाई के लिए 11 फरवरी को अंतिम तारीख निर्धारित की थी, किंतु अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते मामले की सुनवाई फिर टल गई थी। इसके बाद मामले में तारीख पर तारीख लगती रही।

नीलकंठ मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विवेक कुमार रेंडर ने बताया कि ‘शमसी जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महाराज मंदिर’ मुकदमे की पत्रावली त्वरित अदालत (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) से स्थानांतरित होकर सुमन तिवारी की अदालत में आ गई थीं।

उन्होंने बताया कि इसके पहले 28 मई को तिवारी ने पत्रावली का अवलोकन किया था और दोनों पक्षों से अपना-अपना पक्ष रखने को कहा था, किंतु इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद के हज यात्रा पर जाने के कारण स्थागनादेश जारी करने का अनुरोध किया गया था।

इसके बाद, अदालत ने पांच जुलाई की तारीख नियत की और दोनों पक्षों को निर्देशित किया कि पांच जुलाई से नियमित रूप से इस मामले की सुनवाई की जाएगी। वर्ष 2022 में अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि शम्सी जामा मस्जिद स्थल पर नीलकंठ महादेव मंदिर था और उन्होंने ढांचे में पूजा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

इसी दावे के साथ मुकदमा शुरू हुआ।

भाषा सं आनन्द सुरेश

सुरेश

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