26.2 C
Jaipur
Sunday, July 6, 2025

खरगे ने वन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया, कानूनों के ‘निष्प्रभावी क्रियान्वयन’ का आरोप लगाया

Newsखरगे ने वन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया, कानूनों के 'निष्प्रभावी क्रियान्वयन' का आरोप लगाया

कलबुर्गी (कर्नाटक), पांच जुलाई (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक और पूरे देश में वन क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता पर शनिवार को बल दिया और वनों की कटाई रोकने तथा हरित क्षेत्र का विस्तार करने के लिए ‘‘मौजूदा कानूनों और कार्यक्रमों के निष्प्रभावी कार्यान्वयन’’ को लेकर निराशा व्यक्त की।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने मंत्रियों, प्राधिकारियों, केन्द्र एवं राज्य सरकारों तथा जनता से वृक्षावरण की क्षति पर गंभीरता से ध्यान देने का आग्रह किया।

उन्होंने दावा किया कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन यदि प्रकृति की रक्षा नहीं की गई तो भविष्य में जीवन का कोई आधार नहीं होगा।

खरगे ने यहां वनमहोत्सव (वृक्षारोपण उत्सव) कार्यक्रम में कहा, ‘‘पूरे देश में वन क्षेत्र बढ़ना चाहिए। सड़कों के किनारे पेड़ लगाए जाने चाहिए और उनकी उचित देखभाल की जानी चाहिए। अगर आप पेड़ नहीं लगा सकते तो आपको उन्हें काटने का कोई अधिकार नहीं है।’’

वन रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि देश का वन क्षेत्र उसके भौगोलिक क्षेत्र का औसतन 25.17 प्रतिशत है, जो पर्याप्त नहीं है तथा यह कम से कम 33 प्रतिशत होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक का वन क्षेत्र मात्र 21 प्रतिशत है और उन्होंने सड़कों के किनारे, घरों के निकट, स्कूलों, कॉलेजों और कृषि क्षेत्रों के आसपास पेड़ लगाने का आह्वान किया।

खरगे ने कहा, ‘‘यदि हर घर के सामने दो पेड़ भी लगा दिए जाएं तो इससे फर्क पड़ेगा।’’ उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में लगभग 20 लाख हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र नष्ट हो गया है।

इस कार्यक्रम में कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खांडरे, कलबुर्गी जिले के प्रभारी मंत्री प्रियंक खरगे और अन्य नेता शामिल हुए।

खरगे ने स्वस्थ पर्यावरण, स्वच्छ हवा और बेहतर जीवन स्तर के लिए पेड़ों के महत्व पर जोर देते हुए बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने दावा किया, ‘‘मैंने राज्य में, खासतौर पर हासन जिले में दिल के दौरे से संबंधित मौतों की खबरें देखी है। ऐसा लगता है कि यहां कोई प्रतिस्पर्धा चल रही है। यहां तक ​​कि छोटे बच्चे और युवा भी दिल के दौरे के कारण मर रहे हैं। जीने के लिए स्वच्छ हवा, पानी और पर्याप्त ऑक्सीजन की जरूरत होती है।’’

खरगे ने याद दिलाया कि वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किया गया था, लेकिन बाद की सरकारें ‘‘इसे प्रभावी रूप से लागू करने में विफल रहीं’’। उन्होंने कहा कि इसी तरह, डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लागू वन अधिकार अधिनियम का भी समुचित ढंग से क्रियान्वयन नहीं किया गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम और हरित भारत मिशन के खराब क्रियान्वयन को लेकर भी चिंता जताई।

नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 2023 में लाए गए वन संरक्षण संशोधन अधिनियम की आलोचना करते हुए खरगे ने दावा किया कि इसमें भी उचित कार्रवाई की कमी है और चेतावनी दी, ‘‘अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हमें आने वाले वर्षों में पानी, स्वच्छ हवा की गंभीर कमी और बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।’’

खरगे ने कर्नाटक सरकार से राज्यभर में बड़े पैमाने पर वनरोपण प्रयासों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles