नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की चल रही प्रक्रिया के बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने शनिवार को निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की कि बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) को दिए जाने वाले फॉर्म अंग्रेजी में हैं, जिससे लोगों को इन्हें भरने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
भाकपा (माले) लिबरेशन ने पत्र में आरोप लगाया कि अंग्रेजी में बीएलए फॉर्म जारी करना एक ‘‘दूर रखने की (अपवर्जनात्मक) प्रक्रिया है, जिससे लोगों के लिए फॉर्म भरना भी मुश्किल हो जाता है।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने दावा किया है कि यह एक गंभीर और सुनियोजित कवायद है। हालांकि, हिंदी में फॉर्म की अनुपलब्धता आयोग के दावों पर सवाल उठाती है।’’
भाकपा (माले) लिबरेशन ने दावा किया कि भोजपुर और गोपालगंज सहित विभिन्न जिलों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोगों को बिना किसी दस्तावेज के फार्म जमा करने के लिए कहा जा रहा है।
वाम दल ने कहा, ‘‘एकरूपता का अभाव लोगों में अराजकता पैदा कर रहा है, जिससे लोगों में गहरी चिंता पैदा हो रही है।’’
भाकपा (माले) लिबरेशन ने पत्र में कहा, ‘‘आपके कार्यालय में बैठक के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दस विपक्षी दलों द्वारा स्पष्ट विसंगतियों, भ्रम और अव्यवस्था को लेकर चिंता जताई गई थी, उसकी पुष्टि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण की चल रही कवायद से संबंधित जमीनी खबरों से हो रही है।’’
भाकपा (माले) लिबरेशन ने निर्वाचन आयोग से पत्र में उठाई गई चिंताओं को यथाशीघ्र दूर करने का आग्रह किया।
आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि अयोग्य नामों को हटाया जा सके और सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके, ताकि वे इस वर्ष के अंत में होने वाले चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें।
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) ने निर्वाचन आयोग से इस प्रक्रिया को रोकने का आग्रह किया है और कहा है कि इससे कई लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। उसने इसे ‘‘वोट बंदी’’ करार दिया है।
भाषा धीरज सुरेश
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