कोटा (राजस्थान), पांच जुलाई (भाषा) राजस्थान में एक पिता ने अपने 12 साल के बेटे को बंधुआ मजदूर के रूप में 10 महीने तक काम करने के वास्ते अपने एक रिश्तेदार को सौंप दिया, हालांकि लड़का बूंदी रेलवे स्टेशन से भागने में सफल रहा और उसके बाद उसे बचा लिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि पिता ने 20 हजार रुपये के लिए अपने बेटे को बंधुआ मजदूर के रूप में भेजा था।
उन्होंने बताया कि उसके पिता अपने गांव में एक देवता को भोग लगाना चाहते थे और इसके लिए उन्हें 20,000 से 25,000 रुपये की जरुरत थी, इसलिए उन्होंने अपने बेटे को रिश्तेदार को सौंप दिया। उसने (रिश्तेदार ने) पिछले महीने बूंदी में पॉप आर्ट मूर्तियां बनाई थी।
‘चाइल्डलाइन 1098’ के जिला समन्वयक रामनारायण गुर्जर ने बताया कि बूंदी चाइल्डलाइन को बृहस्पतिवार को जयपुर नियंत्रण कक्ष से सूचना मिली थी कि बूंदी रेलवे स्टेशन पर एक बालक बैठा है, जो उदयपुर जाना चाहता है।
उन्होंने बताया कि वह और काउंसलर मंजीत मौके पर पहुंचे और लड़के को बचाया तथा उसे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया।
बूंदी सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने बताया कि बच्चे को 21 जून को बूंदी लाया गया था और उससे कथित तौर पर सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक काम कराया गया।
उन्होंने बताया कि लड़का वहां काम नहीं करना चाहता था, लेकिन चूंकि उसके पिता ने पहले ही पैसे ले लिये थे, इसलिए वह घर वापस नहीं आ सका।
उन्होंने बताया कि लड़के ने बृहस्पतिवार को भागने का फैसला किया और बूंदी रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया। उसने एक अजनबी से मदद मांगी और उसके फोन से अपनी मां को फोन किया।
मानव तस्करी रोधी इकाई, श्रम विभाग और चाइल्डलाइन के कार्य बल को इस अभियान में शामिल किया गया और रिश्तेदार के खिलाफ बीएनएस, किशोर न्याय और बाल श्रम कानूनों की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
प्रमाण पत्र के आधार पर बच्चे को तत्काल 30,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
भाषा प्रीति सुरेश
सुरेश