नयी दिल्ली, छह जुलाई (भाषा) अरबपति उद्योगपति गौतम अदाणी का समूह गुजरात के मुंद्रा में 10 लाख टन सालाना क्षमता का पीवीसी संयंत्र लगाने जा रहा है। इसके साथ समूह पेट्रोरसायन क्षेत्र में उतर जाएगा। इस क्षेत्र में अभी तक रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी कंपनी है। इसके साथ अदाणी समूह पीवीसी क्षेत्र भी रिलायंस के साथ प्रतिस्पर्धा करेगां
पीवीसी या पॉलिविनाइल क्लोराइड एक सिंथेटिक प्लास्टिक पॉलिमर है जिसका पाइप और फिटिंग से लेकर खिड़की और दरवाजे के फ्रेम, केबल इंसुलेशन, विनाइल फ्लोरिंग और वॉल कवरिंग, क्रेडिट कार्ड और खिलौने जैसे कई उत्पादों को बनाने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
भारत की सालाना पीवीसी की मांग लगभग 40 लाख टन है, जबकि घरेलू उत्पादन क्षमता लगभग 15.9 लाख टन है। घरेलू क्षमता में आधी रिलायंस के पास है। पीवीसी की मांग सालाना आठ-10 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
इस मामले से अवगत दो सूत्रों ने बताया कि अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज मुंद्रा मे एक पेट्रोरसायन संकुल बना रही है। कंपनी वहां 10 लाख टन सालाना क्षमता का पीवीसी विनिर्माण संयंत्र लगा रही है।
यह संयंत्र वित्त वर्ष 2027-28 तक चालू होगा। पीवीसी परियोजना में पीवीसी, क्लोर-अल्कली, कैल्शियम कार्बाइड और एसिटिलीन इकाइयों के निर्माण की क्षमताएं शामिल होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने बताया कि अदाणी समूह एसिटिलीन और कार्बाइड आधारित पीवीसी उत्पादन प्रक्रिया को लागू करना चाहता है। इसके लिए पर्यावरणीय मंजूरी और परियोजना स्थापित करने की सहमति पहले ही मिल चुकी है।
भारत में पीवीसी की मौजूदा उच्च मांग और कम आपूर्ति को देखते हुए अदाणी की परियोजना से आपूर्ति के अंतर को कम करने और आयात निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी।
यह परियोजना समूह को रिलायंस के खिलाफ खड़ा करेगी, जो वर्तमान में भारत की सबसे बड़ा पीवीसी उत्पादक है। रिलायंस की अनुमानित पीवीसी क्षमता लगभग 7,50,000 टन सालाना की है। रिलायंस के गुजरात में हजीरा, दहेज और वडोदरा में पीवीसी संयंत्र हैं। रिलायंस 2027 तक अपनी क्षमता को दोगुना करने की योजना बना रही है।
अदाणी समूह समूह और मुकेश अंबानी की रिलायंस लंबे समय तक एक-दूसरे से अलग क्षेत्रों में काम करते रहे हैं। लेकिन पहले स्वच्छ ऊर्जा और अब पेट्रोरसायन ऐसे क्षेत्र होंगे, जहां वे एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि मांग में वृद्धि के आधार पर भविष्य में अदाणी के मुंद्रा संयंत्र की क्षमता 20 लाख टन सालाना तक बढ़ाई जा सकती है।
वित्तीय अनिश्चितताओं और अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के कारण मार्च, 2023 में शुरू में रोक दी गई इस परियोजना पर काम पिछले साल फिर से शुरू किया गया है। अदाणी समूह ने तब से अपने संसाधनों पर फिर से ध्यान केंद्रित किया है, इक्विटी और अतिरिक्त ऋण में पांच अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक जुटाए हैं।
इस परियोजना का वित्तपोषण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ द्वारा किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अदाणी समूह को परियोजना के लिए ‘फीडस्टॉक’ हासिल करने का भरोसा है, क्योंकि समूह की पोर्टफोलियो कंपनियों के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापार की विशेषज्ञता है।
भाषा अजय अजय
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