(अमिताव राय)
कोलकाता, छह जुलाई (भाषा) वाम दलों और मजदूर संघों को उम्मीद है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दों और मजदूरों के अधिकारों को लेकर नौ जुलाई को होने वाली आम हड़ताल को तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल में व्यापक समर्थन मिलेगा।
पश्चिम बंगाल, 2011 तक वाम दलों का गढ़ हुआ करता था।
प्रदेश सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस) के अध्यक्ष अनादि साहू ने कहा कि 10 प्रमुख मजदूर संघों ने ‘‘उदारीकरण, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, अनुबंध पर काम कराने में वृद्धि और अन्य मुद्दों’’ के खिलाफ आम हड़ताल का आह्वान किया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “कोयला, इस्पात और जूट उद्योगों तथा परिवहन क्षेत्र की भागीदारी के साथ बंगाल में हड़ताल को अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।”
हालांकि, साहू ने कहा कि भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस यूनियनों से जुड़े कुछ कर्मचारी हड़ताल में भाग न लें, लेकिन अधिकतर लोग इसका समर्थन करेंगे क्योंकि वे केंद्र की नीतियों से प्रभावित हैं।
उन्होंने कहा कि वाम राजनीतिक दलों ने हड़ताल का समर्थन किया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि हड़ताल का आह्वान जनता की समस्याओं को उजागर करने के लिए किया गया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारा मानना है कि इसलिए हड़ताल को आम लोगों का समर्थन मिलेगा।”
चक्रवर्ती ने दावा किया कि केंद्र की नई श्रम नीतियां श्रमिक वर्ग के हितों के लिए ‘‘हानिकारक’’ हैं।
वर्ष 2011 से पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में किसी भी बंद के आह्वान का विरोध किया।
साहू ने कहा, ‘‘हम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) अधिनियम के तहत पारिश्रमिक बढ़ाने की भी मांग करते हैं।’’
भाषा जितेंद्र सुभाष
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