नयी दिल्ली, छह जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने कर्नाटक के एक निजी मेडिकल कॉलेज को अनुकूल मूल्यांकन रिपोर्ट देने के एवज में कथित तौर पर 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एक वरिष्ठ डॉक्टर को काली सूची में डाल दिया है।
चिकित्सक पर मूल्यांककर्ता के रूप में कार्यरत रहने के दौरान रिश्वत लेने का आरोप है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मई में डॉक्टर को गिरफ्तार किया था। मामले की जांच और अंतिम फैसला आने तक डॉक्टर को काली सूची में डाल दिया गया है।
आयोग ने कहा कि कड़े कदम के तहत यह निर्णय लिया गया है कि स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में उक्त कॉलेज की मौजूदा सीटों का नवीनीकरण शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा, शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए ‘मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड’ द्वारा प्राप्त स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों के लिए सीटों की वृद्धि और नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए आवेदन रद्द कर दिए जाएंगे और उन्हें आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
एनएमसी ने दो जुलाई को एक बयान में कहा कि वह देश भर के विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों से वरिष्ठ संकाय सदस्यों को नियुक्त करता है, जो आयोग की ओर से चिकित्सा संस्थानों में समय-समय पर निरीक्षण करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं।
इस प्रकार, मूल्यांकनकर्ताओं को आयोग द्वारा नियुक्त नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें देश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एकत्र किया जाता है और औचक प्रक्रिया के माध्यम से निरीक्षण के लिए नियुक्त किया जाता है।
आयोग ने कहा ‘एनएमसी अपने सभी कार्यों में सर्वोच्च सत्यनिष्ठा बनाए रखने तथा सभी स्तरों पर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग की नीति भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है तथा किसी भी व्यक्ति या चिकित्सा संस्थान द्वारा की गई ऐसी किसी भी अप्रिय घटना से आयोग एनएमसी अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों के प्रासंगिक दंड प्रावधानों के अनुसार निपटेगा।’
इसने सभी मेडिकल कॉलेजों और हितधारकों को एनएमसी के नियमों और विनियमों का सख्ती से पालन करने और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा, पेशेवर रवैया और सार्वजनिक विश्वास के स्वरूप को बनाए रखने की सलाह दी।
भाषा आशीष सुभाष
सुभाष