नयी दिल्ली, छह जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय तुर्किये की कंपनी सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुना सकता है।
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने 15 मई को सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी। इससे कुछ दिन पहले तुर्किये ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और पड़ोसी देश में आतंकी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा की थी।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 23 मई को मामले में दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर जमीन पर रखरखाव और माल ढुलाई टर्मिनल संबंधी कार्यों की देखरेख करती हैं।
केंद्रीय प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विमानन सुरक्षा के लिए ‘अभूतपूर्व’ खतरे की ओर इशारा करते हुए कार्रवाई का बचाव किया।
सेलेबी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शुक्रवार को दलील दी कि केंद्र का कदम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और विमान सुरक्षा नियमों के तहत प्रक्रिया का उल्लंघन है।
रोहतगी ने कहा कि नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक को ‘प्रस्तावित दंड’ की सूचना देने के बाद याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर देना चाहिए था और उसके बाद उनकी कार्रवाई के कारण भी बताने चाहिए थे।
केंद्र ने कहा कि 19 मई को मंजूरी रद्द करने का निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया था, क्योंकि कुछ ऐसी जानकारी मिली थी कि याचिकाकर्ता कंपनियों की सेवाएं जारी रखना वर्तमान परिदृश्य में खतरनाक होगा।
पिछले 15 वर्षों से भारतीय विमानन क्षेत्र में काम कर रही सेलेबी 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है और नौ हवाई अड्डों पर अपनी सेवाएं प्रदान करती है।
बीसीएएस ने अपने आदेश में कहा, “… राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संबंध में सुरक्षा मंजूरी तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती है।”
तुर्किये की सेलेबी का हिस्सा इस कंपनी को सुरक्षा मंजूरी नवंबर, 2022 में दी गई थी।
भाषा अनुराग अजय
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