नयी दिल्ली, छह जुलाई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एम ए बेबी ने गैर-न्यायिक पदों पर नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का रविवार को स्वागत किया।
बेबी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “स्वागत योग्य कदम। उच्चतम न्यायालय ने गैर-न्यायिक कर्मचारियों के पदों पर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दिव्यांग जनों, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए आरक्षण की शुरुआत की है।”
उन्होंने कहा, “यह न्यायमूर्ति बीआर गवई द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। फिर भी, न्यायिक नियुक्तियों में आरक्षण की आवश्यकता है!”
वाम दल के पोलित ब्यूरो ने भी एक बयान जारी कर इस कदम की सराहना की।
बयान के मुताबिक, “मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है। अदालत ने दिव्यांग जनों, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए भी आरक्षण को विस्तारित किया है।”
बयान में कहा गया है, “प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में गैर-न्यायिक पदों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों की भर्ती के लिए रोस्टर प्रणाली के कार्यान्वयन की पहल की है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है।”
माकपा ने कहा, “पार्टी माननीय प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई द्वारा भर्ती नियमों में संशोधन करने की पहल की सराहना करती है, जिससे न्यायालय में गैर-न्यायिक कर्मचारियों की नियुक्ति में लंबित और महत्वपूर्ण सुधार संभव हो सकेगा।”
पार्टी ने कहा, “यह निर्णय सामाजिक न्याय आंदोलन की लंबे समय से चली आ रही मांग की आंशिक पूर्ति की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।”
उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित अपने गैर-न्यायिक कर्मचारियों की पदोन्नति और सीधी नियुक्ति के लिए एक औपचारिक आरक्षण नीति शुरू की है।
उच्चतम न्यायालय के 24 जून को जारी एक परिपत्र में सभी कर्मचारियों को इस निर्णय की जानकारी दी गई।
परिपत्र और वर्तमान में लागू रोस्टर के अनुसार, शीर्ष अदालत के एससी श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नति में 15 प्रतिशत और एसटी कर्मचारियों को 7.5 प्रतिशत कोटा मिलेगा।
नीति के अनुसार, कोटा का लाभ रजिस्ट्रार, वरिष्ठ निजी सहायक, सहायक लाइब्रेरियन, कनिष्ठ अदालत सहायक और ‘चैंबर अटेंडेंट’ को मिलेगा।
भाषा जितेंद्र सुभाष
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