लखनऊ, छह जुलाई (उप्र) उत्तर प्रदेश के किसान ‘गोवंश’ को गोद ले सकेंगे, जिससे न केवल उसका (गोवंश मवेशियों का) संरक्षण होगा, बल्कि गो आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। रविवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
बयान में कहा गया कि “मुख्यमंत्री सहभागिता योजना” के अंतर्गत किसानों को एक से चार तक गोवंश मवेशी सौंपे जाएंगे, जिनके माध्यम से वे आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना के तहत जिन किसानों को गोवंश मवेशी मिलेगा, उनके आवासीय परिसर में ही मनरेगा के अंतर्गत व्यक्तिगत “कैटल शेड” (एक ऐसा स्थान विशेषकर गाय, भैंस आदि के लिए उपयोगी) बनाए जाएंगे। इससे किसानों को अपने पशुओं के रखरखाव के लिए अलग से स्थान उपलब्ध होगा। साथ ही, छोटी बायोगैस इकाई भी लगाई जाएंगी।
बयान के मुताबिक गो सेवा के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस नई पहल से बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ होगा और राज्य की अर्थव्यवस्था भी रफ्तार पकड़ेगी।
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के विशेष कार्याधिकारी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया,‘‘इस योजना का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। जल्द ही महिला स्वयं सहायता समूहों और नवयुवकों को विशेष तौर पर इस अभियान में शामिल किया जाएगा, जिससे उनके स्वावलंबन को नई दिशा मिलेगी।’’
हर गोवंश पालक को छोटी लघु बायोगैस इकाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि गोबर से स्वच्छ ईंधन तैयार किया जा सके। यह किसानों के रसोई ईंधन की जरूरत को भी पूरा करेगा और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा।
श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना को एकीकृत ग्रामीण विकास मॉडल के रूप में लागू किया जा रहा है, जिसमें गोवंश संरक्षण, जैविक खेती, ऊर्जा उत्पादन और सामाजिक स्वावलंबन जैसे पहलुओं को समाहित किया गया है।
उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी और गांवों में सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
भाषा आनन्द
राजकुमार
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