जयपुर, छह जुलाई (भाषा) राजस्थान सरकार ने निविदा के बाद विभागों द्वारा अनुमोदन के लिए प्रस्ताव पुनः वित्त विभाग को प्रस्तुत करने की आवश्यकता को समाप्त करके लालफीताशाही को कुछ हद तक कम कर दिया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के निर्देश पर शुरू किए गए इस सुधार का उद्देश्य सरकार द्वारा ‘अनावश्यक’ दोहरी स्वीकृति प्रक्रिया को समाप्त करना है। इसमें कहा गया है कि दोहरी स्वीकृति प्रक्रिया के कारण विकास परियोजनाओं को शुरू करने में एक महीने तक की देरी होती है।
रविवार को जारी बयान में कहा गया, ‘यह अनावश्यक प्रक्रिया पिछली सरकार के दौरान शुरू की गई थी, जिसके कारण लागत में अनावश्यक वृद्धि हुई तथा जनता को लाभ देरी से मिला।’
बयान में कहा गया है कि पहले की व्यवस्था के तहत सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद भी विभागों को निविदा प्रक्रिया के बाद अंतिम प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को वापस भेजना पड़ता था। इस दूसरे चरण में 15 से 30 दिन का समय लग जाता था।
अब एक बार वित्त विभाग द्वारा प्रारंभिक स्वीकृति दिए जाने के बाद कार्यान्वयन विभाग को निविदा के तुरंत बाद कार्य आदेश जारी करने का पूरा अधिकार होगा। विभाग वित्त विभाग से किसी अतिरिक्त मंजूरी की आवश्यकता के बिना अंतिम मंजूरी का विवरण सीधे सरकारी पोर्टल पर अपलोड किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा, ‘इस सुधार से यह सुनिश्चित होगा कि घोषित विकास कार्य तेजी से जमीनी स्तर पर शुरू किए जाएं और पूरी गुणवत्ता के साथ निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरे किए जाएं।’
भाषा
शुभम संतोष
संतोष