मुंबई, छह जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी को रेखांकित करते हुए उनसे (न्यायाधीशों से) स्वास्थ्य से समझौता किए बिना कार्य-जीवन में उचित संतुलन बनाए रखने को कहा है।
न्यायमूर्ति दत्ता शनिवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई को सम्मानित किया गया।
बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि 2013 में यह संख्या 75 से बढ़कर 94 हो गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, 2013 और 2020 के बीच केवल एक बार बंबई उच्च न्यायालय ने 75 (न्यायाधीशों की संख्या) का आंकड़ा छुआ था, 94 की तो बात ही छोड़िए, यह कभी भी 75 के आंकड़े को नहीं छू सका।’’
बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कार्य-जीवन के बीच उचित संतुलन बनाए रखने तथा काम के लिए अपने स्वास्थ्य से समझौता न करने के महत्व पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘क्या आपको लगता है कि आप 68 से 70 न्यायाधीश, 90 न्यायाधीशों का काम कर पाएंगे? आप नहीं कर सकते…वास्तव में आप अपने, अपने परिवार और आप पर निर्भर सभी लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए कृपया अपना समय व्यक्तिगत और पेशेवर कार्यों में बांट लें… अपने परिवार को समय दें, क्योंकि यदि आपको कुछ हो जाता है तो एक महीने तक तो सहानुभूति रखने वाले लोग होंगे, लेकिन एक महीने के बाद कोई भी आपकी सेवा को याद नहीं रखेगा।’
भाषा आशीष सुरेश
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