बेंगलुरु, छह जुलाई (भाषा) कांग्रेस के ओबीसी विभाग ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को अपनी परामर्श परिषद के सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है जिससे कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।
सिद्धरमैया ने हालांकि कहा कि इसका राष्ट्रीय राजनीति में जाने से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के इस कदम को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद छोड़ सकते हैं।
राजनीतिक हलकों में, विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में, इस वर्ष के अंत में मुख्यमंत्री बदलने की संभावना के बारे में अटकलें हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (ओबीसी विभाग) के प्रमुख अनिल जयहिंद द्वारा लिखे गए एक पत्र में परामर्श परिषद में 24 लोगों के नाम प्रस्तावित किए गए और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की मंजूरी मांगी गई।
जयहिंद ने नौ जून को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैं आपके विचार और अनुमोदन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ओबीसी विभाग के लिए परामर्श परिषद के नामों का प्रस्ताव कर रहा हूं।’’
इस पत्र को रविवार को ही सार्वजनिक किया गया।
सिद्धरमैया के अलावा परिषद के लिए प्रस्तावित अन्य नामों में कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बी के हरिप्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और वीरप्पा मोइली शामिल हैं।
कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि सिद्धरमैया परिषद का नेतृत्व करेंगे।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धरमैया ने रविवार को कहा कि उन्हें इस कदम के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी और उन्हें खबरों के माध्यम से पता चला।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। मैंने भी इस बारे में अखबारों में पढ़ा है। आपने (मीडिया ने) इसकी खबर दी है। मैं आलाकमान से बात करूंगा।’’
सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि कांग्रेस के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष ने उनसे कर्नाटक में एक बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया था, जो 15 जुलाई को निर्धारित है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह यह जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘क्या मुझे जिम्मेदारी मिलने पर भाग जाना चाहिए? मैंने यह भूमिका नहीं मांगी थी और मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पार्टी आलाकमान ने इसकी घोषणा की है। मैं उनसे बात करूंगा।’’
सिद्धरमैया ने और स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इस नियुक्ति का उनके राष्ट्रीय राजनीति में जाने से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कोई जानकारी नहीं है। सबसे पहले, यह पद क्या है? विभिन्न समाचार पत्रों ने अलग-अलग पदनामों का इस्तेमाल किया है।’’
इस बीच मैसुरु में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने कहा, ‘‘सिद्धरमैया जल्द ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। कांग्रेस महासचिव एवं कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हाल में बेंगलुरु का दौरा किया था और इसके लिए आधार तैयार किया था। अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग परामर्श परिषद के लिए सिद्धरमैया का नाम प्रस्तावित करने का मतलब है कि उन्हें इस्तीफा देकर दिल्ली जाने का निर्देश दिया गया है।’’
इसी बात को दोहराते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इरादा सिद्धरमैया को राष्ट्रीय राजनीति में शामिल करने और उनसे मुख्यमंत्री का पद खाली कराने का है। यह घटनाक्रम अचानक हुआ प्रतीत होता है।’’
उन्होंने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री के पास ऐसी भूमिका निभाने का समय नहीं होता। हुबली में उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यह उनके लिए संकेत है कि ढाई साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है और उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।’’
उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कहा कि देश में ओबीसी की संख्या बड़ी और विविध है।
उन्होंने कनकपुरा तालुका के बिज्जाहल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘वोक्कालिगा और लिंगायत राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी हैं। पिछड़े समुदायों को सामने लाने के लिए ओबीसी परामर्श परिषद की बैठक आयोजित की जा रही है।’’
भाजपा की इस आलोचना पर कि यह प्रस्ताव सिद्धरमैया को राष्ट्रीय राजनीति में लाने की दिशा में एक कदम है, शिवकुमार ने कहा, ‘‘पार्टी में अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और अन्य लोगों के लिए कई शाखाएं हैं। जैन और सिख भी अल्पसंख्यकों में शामिल हैं। अगर भाजपा इनकी आलोचना नहीं कर रही है, तो उन्हें संतुष्ट होना चाहिए। आलोचनाएं खत्म हो जाती हैं, काम बाकी रहता है।’’
गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस बात को खारिज कर दिया कि सिद्धरमैया राष्ट्रीय राजनीति में जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि सिद्धरमैया का नाम पिछड़ा वर्ग परामर्श परिषद के लिए प्रस्तावित किया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि वह इस क्षेत्र के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं, इसलिए यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई।’’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कई नेताओं ने पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर इसी तरह की जिम्मेदारियां संभाली हैं।
भाषा
देवेंद्र नरेश
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