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Monday, July 7, 2025

महाविद्यालय परिसरों में छात्राओं को निशाना बनाने वाले तृणमूल नेताओं की सूची जारी करेंगे : शुभेंदु

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कोलकाता, छह जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक शुभेंदु अधिकारी ने रविवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा के उन 50 नेताओं के नाम जारी करेंगे, जो कथित तौर पर विद्यार्थियों, विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बना रहे हैं, जैसे कि मोनोजीत मिश्रा, जो साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म का मुख्य आरोपी है।

अधिकारी ने तृणमल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का संदर्भ देते हुए आरोप लगाया कि ये सभी नेता ‘भाईपो (भतीजे) गिरोह’ के हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह मुख्य कारणों में से एक है, जिसकी वजह से मैंने 2020 में तृणमूल छोड़ी थी। मैं उनकी ज्यादतियों को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं था।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं मंगलवार दोपहर को ‘भाईपो गिरोह’ के कम से कम 50 सदस्यों के नाम जारी करूंगा, जो शिक्षण परिसरों में उत्पात मचा रहे हैं।’’

नेता प्रतिपक्ष ने घोषणा की कि नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल की प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की पहली बरसी पर तीन रैलियां आयोजित की जाएंगी और ये सभी रैलियां हावड़ा में राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ के सामने एकत्र होंगी और सरकार से न्याय की मांग करेंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हत्या की शिकार हुई हमारी बहन के माता-पिता एक रैली में सबसे आगे होंगे। हजारों लोग, बिना किसी पार्टी के रंग के, नबान्न तक मार्च करेंगे। मैं मुख्यमंत्री से आह्वान करता हूं कि वह रात को ही नबान्न पहुंच जाएं, क्योंकि जब हजारों लोग सड़क पर उतर आएंगे, तो वह इमारत में न तो प्रवेश कर पाएंगी और न ही बाहर निकल पाएंगी।’’

अधिकारी ने शनिवार रात को उत्तर 24 परगना जिले के सोदेपुर में दुष्कर्म पीड़िता के शोक संतप्त माता-पिता से उनके आवास पर मुलाकात की थी।

तृणमूल प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने अधिकारी के आरोपों को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रति पार्टी की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है।

मजूमदार ने कहा, ‘‘उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। ऐसे दावों का कोई आधार नहीं है। वास्तव में, अधिकारी ने पहले भी इसी तरह की समय-सीमाएं दी थीं, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। फिर भी, उन्हें शर्म नहीं आती।’’

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

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