नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) सेना ने 1999 के करगिल युद्ध के दौरान ‘‘अदम्य साहस और वीरता’’ का परिचय देते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा को सोमवार को श्रद्धांजलि देते हुए युद्ध में उनके पराक्रम को याद किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कैप्टन बत्रा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि करगिल युद्ध के दौरान उनकी ‘‘अद्वितीय बहादुरी और बलिदान’’ राष्ट्र की सेवा में साहस का एक शानदार उदाहरण है।
‘ऑपरेशन विजय’ के तहत मिली जीत के इस साल 26 साल पूरे होंगे। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सैनिकों और अन्य कर्मियों ने जम्मू-कश्मीर में करगिल की बर्फीली पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी। तब से भारतीय सेना 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के रूप में मनाती है।
सेना ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ में लिखा कि जम्मू-कश्मीर राइफल के कैप्टन बत्रा ने करगिल युद्ध के दौरान सात जुलाई 1999 को देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया।
उसने कहा, ‘‘कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपनी कंपनी का नेतृत्व करते हुए ‘प्वाइंट 5140’ पर सफलतापूर्वक कब्जा किया था। उन्होंने हथियारों का इस्तेमाल किए बिना ही आसने-सामने की लड़ाई में चार दुश्मनों को ढेर कर दिया।’’
इस पोस्ट के साथ एक छोटा वीडियो क्लिप भी शेयर किया गया है।
सेना ने कहा, ‘‘ ‘प्वांइट 4875’ पर कब्जा करने के लिए एक और लड़ाई के दौरान उन्होंने दुश्मन के सामने सबसे अदम्य साहस एवं वीरता का परिचय दिया और एक असंभव मिशन को हासिल किया। इस ऑपरेशन में उन्होंने हमले का नेतृत्व किया और पांच दुश्मन सैनिकों को बहुत नजदीक से हमला कर मार गिराया और गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद हमला जारी रखा।’’
उसने ‘पोस्ट’ में लिखा, ‘‘उनके असाधारण कार्य एवं अनुकरणीय नेतृत्व से प्रेरित होकर सैनिकों ने आगे बढ़कर हमला करना जारी रखा और ‘प्वाइंट 4875’ पर कब्जा कर लिया। कैप्टन बत्रा को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।’’
रक्षा मंत्री सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर करगिल के वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, ‘‘कैप्टन विक्रम बत्रा के बलिदान दिवस पर उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करता हूं। करगिल युद्ध के दौरान उनकी अद्वितीय बहादुरी और उनका बलिदान राष्ट्र की सेवा में साहस का एक शानदार उदाहरण है। उनके बलिदान दिवस पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि।’’
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश