लखनऊ, सात जुलाई (भाषा) प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना के तहत राज्य के 948 विरासत वृक्षों का संरक्षण करने की पहल की है। 100 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजाति के वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है।
प्रदेश सरकार ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि ये वृक्ष प्रदेश के सभी 75 जिलों में हैं जिसमें काशी में सर्वाधिक 99, प्रयागराज में 53, हरदोई में 37, गाजीपुर में 35 और उन्नाव में विभिन्न प्रजातियों के 34 विरासत वृक्ष हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने गैर वन क्षेत्र (सामुदायिक भूमि) पर स्थित 100 वर्ष से अधिक आयु की 28 प्रजातियों को विरासत वृक्ष घोषित किया है।
बयान के मुताबिक, इनमें अरु, अर्जुन, आम, इमली, कैम, करील, कुसुम, खिरनी, शमी, गम्हार, गूलर, छितवन, चिलबिल, जामुन, नीम, एडनसोनिया, पाकड़, पीपल, पीलू, बरगद, महुआ, महोगनी, मैसूर बरगद, शीशम, साल, सेमल, हल्दू और तुमाल शामिल हैं। इसमें बरगद के 363 और पीपल के 422 वृक्ष हैं।
इसके अनुसार, विरासत वृक्ष में आध्यात्मिक और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े वृक्ष शामिल किए गए हैं। सरकार प्रदेश के सभी 75 जिलों में विरासत वृक्षों को खोजकर इन्हें संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, काली मंदिर के समीप और गौशाला के अंदर बरगद और पाकड़ वृक्षों सहित इस पूरे जनपद में 19 वृक्ष विरासत वृक्ष घोषित किए गए हैं।
बयान में कहा गया है कि लखनऊ और वाराणसी के क्रमश: दशहरी आम व लंगड़ा आम के मातृ वृक्ष, फतेहपुर का बाचन इमली, मथुरा के इमलीतला मन्दिर परिसर का इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष, बाराबंकी में स्थित एडनसोनिया वृक्ष, हापुड़ और संत कबीर नगर में स्थित पाकड़ वृक्ष, सारनाथ का बोधि वृक्ष, बाबा झारखंड के नाम से प्रसिद्ध अंबेडकर नगर का पीपल वृक्ष एवं ऑर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री शाहजहांपुर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा पीपल वृक्ष शामिल है।
भाषा राजेंद्र नोमान
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